बेंचमार्क सूचकांकों में गुरुवार को लगातार तीसरे सत्र में गिरावट दर्ज हुई। इसका कारण बैंकिंग दिग्गजों में बिकवाली का दबाव था। हालांकि व्यापक बाजार ने बेहतर प्रदर्शन किया और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स कारोबारी सत्र में 1.43 फीसदी चढ़ा। लिहाजा, इसकी दो दिनों की तेजी 3.82 फीसदी तक पहुंच गई।
सेंसेक्स 203 अंक गिरकर 75,736 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 20 अंक फिसलकर 22,913 पर टिका। दोनों इंडेक्स 27 जनवरी के बाद के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। पिछले 12 कारोबारी सत्रों के दौरान बेंचमार्क सूचकांकों ने सिर्फ एक मौके पर लाभ दर्ज किया है।
पिछले नौ सत्रों में 11.3 फीसदी की गिरावट के बाद निफ्टी स्मालकैप 100 इंडेक्स में जोरदार उछाल आई। इसका कारण पिटे हुए मूल्यांकन पर गुणवत्ता वाले शेयरों में नई खरीदारी रहा। एचडीएफसी बैंक में 2.4 फीसदी टूटा, आईसीआईसीआई बैंक में 0.9 फीसदी और आईटीसी में 1.1 फीसदी की गिरावट आई। सेंसेक्स को नीचे लाने में इनका अहम योगदान रहा।
सरकार की जमा बीमा कवरेज को बढ़ाने की योजना को लेकर चिंताओं के बीच बैंकिंग शेयरों में मुनाफावसूली हुई। सरकार की इस योजना से बैंकों की लागत बढ़ सकती है। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात सकारात्मक रहा और 2,616 शेयर चढ़े जबकि 1,347 में गिरावट आई। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 404 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सरकार बैंक जमाओं पर बीमा की सीमा को मौजूदा 5 लाख रुपये प्रति खाते से अधिक बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कदम न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक संकट में आरबीआई के हालिया हस्तक्षेप के बाद उठाया जा रहा है। संकटग्रस्त सहकारी बैंक में जमा निकासी को छह महीने के लिए रोक दिया गया था।
लगातार महंगाई बने रहने के कारण दर कटौती में देरी के संकेत देने वाली फेडरल रिजर्व की जनवरी की बैठक के ब्योरे से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। इसके अतिरिक्त भारतीय वस्तुओं पर संभावित अमेरिकी शुल्क की चिंताओं ने भी अनिश्चितता में इजाफा किया।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के कारण देसी शेयर सूचकांकों को मामूली नुकसान हुआ जिसमें मुद्रास्फीति का दबाव और दर कटौती की उम्मीदों का आगे खिसकना शामिल है। हालांकि व्यापक बाजार ने लचीलापन दिखाया, जिसे खपत के बेहतर दृष्टिकोण और मुद्रास्फीति में नरमी से समर्थन मिला। रेलिगेयर ब्रोकिंग में सहायक उपाध्यक्ष (शोध) ने कहा कि व्यापक इंडेक्स में हालिया सुधार से कुछ राहत मिली है।
कारोबारियों को सतर्क रुख अपनाना चाहिए, बैंकिंग और आईटी जैसे क्षेत्रों में गुणवत्ता वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए और आक्रामक पोजीशनों से बचना चाहिए। सोने की कीमतें नई ऊंचाई को छू गईं और इसकी ट्रेडिंग 2,943 डॉलर प्रति आउंस पर हो रही है, जिससे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित ठिकाने की मांग का पता चलता है।
अल्पावधि में बाजार की दिशा अमेरिकी व्यापार नीतियों और केंद्रीय बैंकों के कदमों समेत वैश्विक घटनाक्रम से प्रभावित होगी। व्यापक बाजार में हालांकि सुधार के संकेत दिख रहे हैं लेकिन निवेशकों को चुनिंदा और अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।