देश की प्रमुख दुपहिया निर्माता कंपनी बजाज ऑटो के लिए वित्तीय वर्ष 2008 के परिणाम परेशान करने वाले रहे।
9169 करोड़ की इस ऑटो कंपनी की बिक्री पिछले वित्त्तीय वर्ष की तुलना में काफी कम रही। बिक्री कम होने का असर कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन पर भी पड़ा और कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन महज 14 फीसदी से ऊपर रहा।
ऑपरेटिंग मार्जिन में दबाव की वजह इनपुट कॉस्ट में बढ़ोत्तरी रही और घट रही बिक्री से कंपनी ने मोटरसाइकिल की कीमतें बढ़ाने का विचार भी छोड़ दिया। कंपनी केलिए चौथी तिमाही बेहद मुश्किल रही क्योंकि उसका मार्जिन 2.2 फीसदी गिरकर 12.8 फीसदी के स्तर पर आ गया। दूसरे ओर कंपनी की प्रतियोगी हीरो होंडा केलिए वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही काफी अच्छी रही और ऑपरेटिंग मार्जिन 4.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसकी वजह कंपनी की कीमतों पर नियंत्रण रहा।
जैसा कि औद्योगिक सूत्रों का अनुमान है कि दुपहिया वाहनों की बिक्री में खास बढ़ोत्तरी नही होने वाली है तो ऐसी स्थिति में बजाज ऑटो केलिए अगले वित्त्तीय वर्षो में कुछ खास मजबूती की आशा नही की जा सकती है। कंपनी अब 125 सीसी की बाइक पर ज्यादा गौर कर रही है बनिस्बत छोटी बाइकों के। इसकी वजह छोटी बाइक का कम लाभप्रद होना है।
कंपनी की 125 सीसी की बाइक की इससमय बिक्री 25,000 ईकाई प्रति महीने है और बाजार पर ज्यादा प्रभाव डालने में सफल नही हो पाई है। लेकिन बजाज ऑटो का इस वर्ष चार नई बाइक लाने का विचार है। ये सभी बाइक 125 सीसी के सेगमेंट में होगी क्योंकि भारत में 125 सीसी सेगमेंट की रफ्तार काफी तेज है।
बाजार में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 36 फीसदी है। पिछले साल केदौरान कंपनी ने 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की थी और वर्तमान में कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी 49 फीसदी है। इसके अतिरिक्त कंपनी का 125 सीसी के सेगमेंट में प्रदर्शन अच्छा रहा है।
कंपनी के तिपहिया वाहनों की बिक्री हर महीने 20,000 से 25,000 ईकाई की रफ्तार से हो रही है लेकिन कंपनी का प्रदर्शन घरेलू बाजार में उतना अच्छा नही है जितना कि विदेशी बाजार में। कंपनी की नई लाचिंग से कंपनी की बिक्री में बढ़ोत्तरी हो सकती है। वित्तीय वर्ष 2008 में कंपनी का कुल लाभ 756 करोड़ रुपये रहा था।
वित्तीय वर्ष 2009 में भी कंपनी केआय के दबाव में रहना चाहिए। कंपनी केस्टॉक की कीमत हीरो होंडा की तुलना में कमजोर है जिसका मौजूदा बाजार मूल्य 788 रुपये है। कंपनी केस्टॉक का इससमय कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय के 14 गुना के स्तर पर हो रहा है।
चेन्नई पेट्रो-चौतरफा कमाई
सार्वजनिक क्षेत्र के रिफाइनरी चेन्नई पेट्रोलियम के लिए वित्त्तीय वर्ष 2008 की तिमाही बेहतर रही। कंपनी की ग्रास रिफायनिंग मार्जिन में करीब 50 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई। ग्रास रिफायनिंग मार्जिन का पर्याय है कि कच्चे तेल की कीमत और उससे तैयार माल की कीमत में अंतर। जैसे पेट्रोल और डीजल।
कंपनी ने इस तरह से प्रति बैरल 9.59 डॉलर की बचत की। यह क्षेत्रीय बेंचमार्क सिंगापुर रिफायनरी से काफी बेहतर रहा क्योंकि उसकी ग्रास रिफायनिंग मार्जिन 6.9 डॉलर प्रति बैरल के सपाट स्तर पर रही। इसकी वजह 150 करोड़ का इनवेंटरी गेन रही।
हालांकि मुद्रा में लगातार जारी उतार-चढ़ाव की वजह से कंपनी को नुकसान भी झेलना पड़ा। इसके अतिरिक्त कुल बढ़त 1.5 फीसदी बढ़कर 27.2 लाख टन के स्तर पर पहुंच गई। कंपनी ने उच्च लाभ वाले सेगमेंट एविएशन टरबाइन फ्यूल ( एटीएफ) की जोरदार बिक्री की।
परिणामस्वरुप कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 1.1 फीसदी का सुधार देखा गया। मार्च की तिमाही में यह 8.1 फीसदी के स्तर पर आ गया। कंपनी की कुल बिक्री भी 46.7 फीसदी बढ़कर 8,399 करोड़ पर पहुंच गई। इससे कंपनी के कुल लाभ में भी 82 फीसदी का जबरदस्त सुधार देखा गया और 344 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया।
हालांकि कंपनी की पिछले तीन तिमाहियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन दबाव में रहा था। लेकिन मार्च की तिमाही में शानदार प्रदर्शन के बाद कंपनी के सालाना ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में तीन फीसदी का सुधार देखा गया और यह 7.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। कंपनी अपने मनाली स्थित रिफायनरी की क्षमता दस लाख टन से बढ़ाकर तीस लाख टन करने जा रही है।
इसके लिए कंपनी 134 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। जबकि इंडियन ऑयल के साथ विलय की स्थिति में कंपनी के स्टॉक पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इसकी वजह इंडियन ऑयल में अंडर-रिकवरी जैसी समस्याओं का होना है। मौजूदा बाजार मूल्य 346 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 5.5 फीसदी के स्तर पर हो रहा है। वैश्विक दृष्टि से भी कंपनी केस्टॉक की कीमत काफी कम है। घरेलू बाजार में कंपनी का स्टॉक आउटपरफार्मर बना रहेगा।