उतार-चढ़ाव में इजाफे के बीच भारतीय इक्विटी बाजार में फरवरी में रोजाना का औसत कारोबार (नकदी व डेरिवेटिव) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। दोनों एक्सचेंजों पर नकदी कारोबार संयुक्त रूप से 1.27 लाख करोड़ रुपये का रहा वहीं एफऐंडओ में यह 483 लाख करोड़ रुपये रहा।
नकदी व डेरिवेटिव में वॉल्यूम एक साल पहले के मुकाबले करीब दोगुना हो गया है। इसका कारण दुनिया के चौथे सबसे बड़े इक्विटी बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी है। शेयर कीमतों में तेजी के चलते कारोबार की तादाद पिछले एक साल में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। इससे शेयर बाजार के तंत्र में मौजूद प्रतिभागियों को मजबूती मिल रही है।
फरवरी 2023 में रोज का औसत कारोबार नकदी में 53,800 करोड़ रुपये था जबकि एफऐंडओ में 208 लाख करोड़ रुपये का। मासिक आधार पर रोजाना का औसत कारोबार नकदी व डेरिवेटिव सेगमेंट के लिए क्रमश: 3.7 फीसदी और 5 फीसदी बढ़ा है।
शेयरों की कीमतों में काफी फेरबदल के बाद भी वॉल्यूम बढ़ा क्योंकि मूल्यांकन की चिंता ने निवेशकों को स्मॉलकैप व पीएसयू शेयरों में मुनाफावसूली के लिए प्रोत्साहित किया।
स्मॉलकैप में निवेश करने वाले म्युचुअल फंडों को मिली नियामकीय चेतावनी का भी मनोबल पर असर पड़ा। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 ने तीन महीने बाद पहला मासिक नुकसान दर्ज किया जबकि बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी 1 फीसदी की बढ़त दर्ज करने में कामयाब रहे।
सैमको सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक और अध्यक्ष नीलेश शर्मा ने कहा कि अभी बाजार अपने सर्वोच्च स्तर पर कारोबार कर रहे हैं और चूंकि हम आम चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं। लिहाजा उतारचढ़ाव भी अपने चरम पर पहुंचने की संभावना है। उतारचढ़ाव वाले बाजारों में ट्रेडरों को प्रवेश करने और बाहर निकलने के ज्यादा मौके मिलते हैं। इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम को सहारा मिलता है।
इस बीच बीएसई अपनी प्रतिस्पर्धी एनएसई से डेरिवेटिव सेगमेंट में कुछ बाजार हिस्सेदारी वापस पाने में कामयाब रहा है। जनवरी में बाजार हिस्सदारी घटकर 12.5 फीसदी रहने के बाद बीएसई ने फरवरी में इसे दोबारा 15.3 फीसदी पर पहुंचा दिया।
एक ब्रोकर ने कहा कि पिछले महीने कई ट्रेडिंग मेंबरों (ब्रोकरों) को एक्सचेंज ने अपने डेरिवेटिव सेगमेंट में शामिल किया। ये मौजूदा सदस्य थे लेकिन बीएसई डेरिवेटिव सेगमेंट में सक्रिय नहीं थे। इससे कारोबार बढ़ाने, नई भागीदारी और पहुंच में मदद मिली है।
बैंकेक्स व सेंसेक्स कॉन्ट्रैक्ट मई में दोबारा पेश कर बीएसई ने अपना डेरिवेटिव सेगमेंट पिछले साल बहाल किया है। एक्सचेंज ने फरवरी में आय की घोषणा के समय कहा था कि वह संस्थागत ट्रेड के लिए विदेशी भागीदारों के साथ काम कर रहा है। साथ ही अपने तंत्र से प्रतिभागियों को जोड़ने, भागीदारों के लिए को-लोकेशन सुविधा में इजाफा करने में भी जुटा है।
पिछले महीने भारत का बाजार पूंजीकरण नई रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया और 388 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आने से पहले 400 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया था।