पूंजी बाजार नियामक सेबी निवेशकों और विनियमित संस्थाओं के बीच विवादों को हल करने के लिए एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली शुरू करने के संबंध में परीक्षण कर रहा है। नियामक ने सोमवार को एक बयान में यह जानकारी दी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नवंबर, 2021 में एक निवेशक चार्टर या घोषणापत्र प्रकाशित किया था। इसका मकसद बाजार में पारदर्शिता लाना तथा निवेशकों के बीच जागरूकता, भरोसा और विश्वास बढ़ाना था।
आईपीओ राशि संबंधी नियम सख्त
बाजार नियामक सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से संबंधित नियमों को सख्त करते हुए भविष्य के अज्ञात अधिग्रहणों के लिए निर्गम से प्राप्त राशि के इस्तेमाल की सीमा तय करते हुए प्रमुख शेयरधारकों की तरफ से जारी किए जाने वाले शेयरों की संख्या को भी सीमित कर दिया है। सेबी ने एक अधिसूचना में कहा है कि एंकर निवेशकों की लॉक-इन अवधि 90 दिनों तक बढ़ा दी गई है और अब सामान्य कंपनी कामकाज के लिए आरक्षित कोष की निगरानी भी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां करेंगी।
निपटान आवेदन जमा करने की समयसीमा
सेबी ने निपटान आवेदन दाखिल करने की समयसीमा को 180 दिन से घटाकर 60 दिन कर दी है। नियामक ने यह कदम प्रणाली को अधिक दक्ष बनाने के लिए उठाया है। मौजूदा समय में कारण बताओ नोटिस मिलने की तारीख से 60 दिन के भीतर निपटान या समाधान आवेदन जमा करना होता है। लेकिन आवेदक समाधान शुल्क पर 25 फीसदी का अतिरिक्त भुगतान कर समयसीमा को 120 दिन बढ़वा सकते हैं।
तरजीही आवंटन नियमों में बदलाव
सेबी ने कंपनियों के लिए शेयरों के तरजीही आवंटन के जरिए धन जुटाने को आसान बनाते हुए मूल्य निर्धारण मानदंडों और लॉक-इन अनिवार्यताओं में ढील दी है। नियामक ने एक अधिसूचना जारी कर लॉक-इन अवधि के दौरान प्रवर्तक या प्रवर्तक समूह को तरजीही निर्गम के तहत आवंटित शेयरों को गिरवी रखने की अनुमति दी है।