वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) की निवेश प्रतिबद्धताएं पहली बार 10 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई हैं। इस निवेश को पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में अधिक रिटर्न की चाहत रखने वाले धनाढ्य निवेशकों की बढ़ती मांग से बल मिला। यह एक तिमाही पहले के मुकाबले 13.6 फीसदी और एक साल पहले के मुकाबले 40 फीसदी से अधिक है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के मुताबिक एआईएफ ने करीब 4.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिनमें से 3.1 लाख करोड़ रुपये श्रेणी 2 एआईएफ में हैं। श्रेणी 2 एआईएफ ऋण और इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं। एआईएफ धनाढ्य निवेशकों के लिए न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के आकार के साथ एकीकृत निवेश योजना है। बजट 2023 में डेट म्युचुअल फंड और मार्केट-लिंक्ड डिबेंचर के कराधान में बदलाव के बाद वैकल्पिक निवेश फंडों का आकर्षण बढ़ा है।
पिछले साल एआईएफ उद्योग में भी नियामकीय बदलाव किए गए थे। इनमें सीमा से अधिक फंडों का डीमटेरियलाइजेशन, शुल्क संरचना में सुधार, बेंचमार्किंग, मूल्यांकन मानदंड आदि शामिल हैं। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि बैकों और गैर बैकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के निवेश पर भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिबंधों का असर एआईएफ पर देखने को मिल सकता है।