facebookmetapixel
HCLTech Q2 result: दूसरी तिमाही में कंपनी को ₹4,235 करोड़ का मुनाफा, रेवेन्यू ₹31 हजार करोड़ के पारDiwali 2025: जानें गिफ्ट और खरीदारी पर कहां लगेगा टैक्स और कहां मिलेगी छूटRetail Inflation: सितंबर में खुदरा महंगाई घटकर 1.54% पर आई, फूड इंफ्लेशन घटकर -2.28% रहीभारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर फिर बातचीत होगी शुरू, इस हफ्ते एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा USSBI MF ने भी Silver ETF FoF में नए निवेश पर लगाई रोक, हाई प्रीमियम का सता रहा डरITR Refund Delay: रिफंड स्टेटस ‘प्रोसेस्ड’ दिख रहा, लेकिन पैसा अकाउंट में नहीं आया? ऐसे करें समाधानNobel Prize 2025: अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जोएल मोकीर, फिलिप एघियन और पीटर हॉविट को मिलानिवेशकों को मिलेगा एक और सुरक्षा कवच! सेबी ने कहा- MF ट्रस्टीज लागू करें अर्ली वॉर्निंग सिस्टम1 महीने में 19% तक मिल सकता है रिटर्न, ब्रोकरेज को इन 3 तगड़े स्टॉक्स पर दिखा ब्रेकआउटPM Kisan Scheme: 21वीं किस्त के लिए किसानों का बेसब्री से इंतजार! जानें किस दिन खाते में आएंगे ₹2000

नए परिसंपत्ति वर्ग को टक्कर देने के लिए AIF चाहे म्युचुअल फंडों की तरह कर लाभ

म्युचुअल फंड निवेश पर कराधान निवेशक के हाथों में होता है जिससे उसे प्रतिस्पर्धा का फायदा मिल जाता है।

Last Updated- December 02, 2024 | 10:32 PM IST
AIF wants tax benefits like mutual funds to compete as new asset class नए परिसंपत्ति वर्ग को टक्कर देने के लिए AIF चाहे म्युचुअल फंडों की तरह कर लाभ

नए परिसंपत्ति वर्ग से टक्कर मिलने की चिंता में वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) उद्योग वित्त मंत्रालय से कराधान पर पास-थ्रू स्तर या समानता के लिए अनुरोध की योजना बना रहा है। इस समय श्रेणी-3 एआईएफ फंडों (जो सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों, डेरिवेटिव और स्ट्रक्चर्ड योजनाओं में निवेश करते हैं) को फंड के स्तर पर कर का भुगतान करना पड़ता है, जिससे उच्च आय श्रेणी के दायरे वाले लोगों के लिए कर की प्रभावी दरें 39 फीसदी तक पहुंच जाती हैं।

दूसरी ओर, म्युचुअल फंड निवेश पर कराधान निवेशक के हाथों में होता है जिससे उसे प्रतिस्पर्धा का फायदा मिल जाता है। एआईएफ उद्योग इस बात से चिंतित है कि अगर जल्द शुरू होने वाले नए परिसंपत्ति वर्ग पर भी म्युचुअल फंड की तरह ही कर व्यवहार लागू हो गया तो 5 लाख करोड़ वाले इस उद्योग को काफी परेशानी होगी।

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने आंतरिक तौर पर बातचीत की है और जल्द ही वे बाजार नियामक सेबी और वित्त मंत्रालय से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे और ज्यादा समान मौका उपलब्ध कराने का अनुरोध करेंगे। ये सुझाव अगले आम बजट से पहले सौंपे जा सकते हैं।

एक मुख्य एआईएफ कंपनी के इक्विटी ऑल्टरनेटिव्स बिजनेस के प्रमुख ने कहा कि अभी एआईएफ को डेरिवेटिव कारोबार पर 39 फीसदी कर देना होता है और यह हर साल देना पड़ता है। अब अगर नए परिसंपत्ति वर्ग के साथ भी म्युचुअल फंडों जैसा ही कर व्यवहार हो, जहां फंड को कर नहीं देना होता बल्कि निवेशकों को भुगतान प्राप्त करने पर देना होता है तो एआईएफ को काफी बड़ा नुकसान होगा और इससे काफी ज्यादा निवेश निकासी हो सकती है।

एएसके इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के निदेशक और बिक्री और उत्पाद प्रमुख निमेश मेहता ने कहा कि म्युचुअल फंड कंपनियों को फंड में हर बदलाव या कारोबार पर कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है, जैसा कि एआईएफ को करना पड़ता है। इसके अलावा, फंड प्रबंधक पर लाभांश कर का भुगतान करने की भी जिम्मेदारी नहीं है। एआईएफ में हर लेनदेन पर अल्पकालिक या दीर्घकालिक और लाभांश पर कर लगता है।

उन्होंने कहा कि हमारा अनुरोध है कि हमें म्युचुअल फंडों के समान लचीलापन मुहैया कराया जाए क्योंकि यह एक बड़ा आर्बिट्रेज है और निवेशकों के लिए चयन करना नुकसानदेह है। बराबरी का मौका उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अपने सुझाव सौंपे जाने की संभावित समयसीमा के बारे में जानकारी के लिए उद्योग संगठन को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

निवेश रणनीति माने जाने वाले नए परिसंपत्ति वर्ग के लिए योजना डिजाइन कुछ-कुछ श्रेणी-3 एआईएफ की तर्ज पर हैं लेकिन एआईएफ के लिए 1 करोड़ रुपये के विपरीत इनमें कम निवेश- केवल 10 लाख रुपये- किया जा सकेगा।

ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर पुनीत शाह ने कहा कि डेरिवेटिव में निवेश करने वाले म्युचुअल फंडों में संभावित नए परिसंपत्ति वर्ग पर संभवतः म्युचुअल फंडों के कराधान नियम लागू होंगे। लिहाजा, फंड डेरिवेटिव निवेश के साथ कर के मामले में बेहतर योजना की पेशकश करके निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं जहां अभी श्रेणी-3 एआईएफ का दबदबा है।

एआईएफ द्वारा जुटाई गई रकम सितंबर तक 5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है जबकि श्रेणी-3 एआईएफ ने 1.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। श्रेणी-3 एआईएफ में निवेश और फंड जुटाने के मामले में सालाना आधार पर 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है। एआईएफ की तरफ से कुल प्रतिबद्धता 12 लाख करोड़ रुपये के पार चली गई है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर रियाज थिंगना ने कहा कि भारतीय कर ​कानून के मुताबिक श्रेणी-3 एआईएफ पर कराधान फंड के स्तर पर होता है और उसे हर साल कर देना होता है क्योंकि उनको हर साल कमाई होती है। ऐसे में इन फंडों की तरफ से तय समयावधि में कर भुगतान फंडों के निवेश पर नकारात्मक असर डालता है। थिंगना ने कहा कि अगर नए परिसंपत्ति वर्ग के साथ इक्विटी म्युचुअल फंडों की तरह ही कर व्यवहार होता है तो श्रेणी-3 एआईएफ पर कर का बोझ अपेक्षाकृत ज्यादा हो सकता है और यह उनके लिए फायदेमंद नहीं होगा।

First Published - December 2, 2024 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट