विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 10 दिन के डिस्क्लोजर विंडो को लेकर चिंतित हैं, जो बेनिफिशल ओनर के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराने से संबंधित है, अगर निवेश सीमा के ताजा उल्लंघन का मामला देखने को मिलता हो।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर के नियम लागू होने से एक हफ्ते पहले बाजार नियामक सेबी ने कस्टोडियन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर जारी किया है।
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर से इस बारे में विस्तृत जानकारी को लेकर छूट पर स्पष्टता और फॉर्मेट का पता चल रहा है, पर FPI कस्टोडियन क्रियान्वयन को लेकर कुछ निश्चित चुनौतियों से चिंतित हैं। उद्योग के प्रतिभागियों ने ये बातें कही।
FPI कस्टोडियन का मानना है कि गैर-वैयक्तिक निवेशकों से आंकड़ों की जानकारी 10 दिन के ट्रेडिंग विंडो के जरिये देना मुश्किल होगा।
इसके अलावा उनका कहना है कि पैसिव आधार पर विशिष्ट सीमा के उल्लंघन वाले फंडों को 1 नवंबर के बाद बेनिफिशल ओनर के बारे में जानकारी देना बाध्यकारी होगा।
सेबी ने फंडों को 90 दिन का समय दिया है, जो पहले ही नई सीमा का उल्लंघन कर चुके हैं। हालांकि नए नियम प्रभावी होने के बाद इस सीमा का उल्लंघन करने वालों के पास 10 कारोबारी दिवस ही होंगे।
एक कस्टोडियन ने कहा, अगर फंड में निवेश करने वाली इकाइयों के प्रबंधन में बदलाव होता है या उसका अधिग्रहण होता (जिसके पास विशिष्ट सीमा से ज्यादा हिस्सेदारी हो) है तो फंड को 10 कारोबारी दिवस में विस्तृत जानकारी देनी होगी।
इस समयसारणी का अनुपालन करना फंडों के लिए काफी मुश्किल होगा। कई फंडों के पास ऐसा करने की क्षमता शायद नहीं होगी, अगर बेनिफिशल ओनर गैर-वैयक्तिक इकाइयां हैं।
कस्टोडियन का कहना है कि सामान्य स्थिति में ऐसी विस्तृत जानकारी पाने में कम से कम 15-20 दिन लगते हैं। कस्टोडियन का डेजिग्नेटेड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट नियामक व विदेशी निवेशकों के बीच कड़ी के तौर काम करते हैं। ये इकाइयां हर तरह के अनुपालन व संवाद के लिए जवाबदेह होती हैं।
1 नवंबर से FPI (जिनका किसी एक कॉरपोरेट समूह में 50 फीसदी से ज्यादा निवेश हो या भारतीय इक्विटी में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश हो) को FPI में किसी तरह के स्वामित्व वाले व्यक्ति, आर्थिक हित या नियंत्रण की बाबत सूचनाओं का खुलासा करना होगा।
सेबी ने नया ढांचा तब लागू किया जब उसे अदाणी-हिंडनबर्ग जांच के दौरान अंतिम लाभार्थी स्वामित्व के बारे में जानकारी पाने में मुश्किल हुई। यह जांच न्यूनतम शेयरधारिता नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर हुई। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर उद्योग व कस्टोडियन की समिति से संपर्क के बाद तैयार किया गया है।
इसका लक्ष्य सभी प्रतिभागियों के बीच स्थिरता लाना, किसी नियामकीय आर्बिट्रेज को टालना, डिस्क्लोजर के लिए तय फॉर्मेट मुहैया कराना और निश्चित फंडों के मामले में छूट पर स्पष्टीकरण है।
नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर ने स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ सरकारी व विनियमित फंडों को छूट दी जाएगी, वहीं प्राइवेट फंड मसलन सरकारी निकाय की तरफ से संचालित पेंशन फंड को सख्त खुलासा नियमों का अनुपालन करना होगा।
उद्योग के एक प्रतिभागी ने कहा, अगर तीन गैर-वैयक्तिक निवेशक फंड में एक या दो फीसदी का योगदान कर रहे हों और उनके पास विशिष्ट सीमा से ज्यादा हिस्सेदारी है तो इन इकाइयों के सभी निवेशकों के बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। यह परिचालन से संबंधित कुछ चुनौतियां खड़ी कर सकता है।