बेंचमार्क सूचकांक आज करीब दो फीसदी टूट गया, जो चार महीने में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। व्यापार शुल्क पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ताजा घोषणा, कंपनियों की आय में नरमी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली से निवेशकों का हौसला कमजोर पड़ा है, जिससे बाजार में गिरावट बढ़ी है। अमेरिकी के व्यापार शुल्क का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका से एशिया और यूरोप के बाजारों में भी भारी गिरावट आई।
सेंसेक्स 1,414 अंक या 1.9 फीसदी लुढ़क कर 73,198 पर बंद हुआ। निफ्टी 420 अंक या 1.9 फीसदी के नुकसान के साथ 22,125 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांकों में 4 अक्टूबर के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई है। निफ्टी लगातार पांचवें महीने में नुकसान में रहा, जो 1996 के बाद सबसे लंबी मासिक गिरावट है।
ताजा गिरावट के बाद सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर से 14.7 फीसदी और निफ्टी 15.6 फीसदी टूट चुका है। निफ्टी मिडकैप अपने उच्चतम स्तर से 21.3 फीसदी और स्मॉलकैप 25.2 फीसदी नीचे आ चुका है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 90 लाख करोड़ रुपये घटकर 384 लाख करोड़ रुपये रह गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 11,639 करोड़ रुपये की बिकवाली की और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 12,309 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की थी कि कनाडा और मेक्सिको पर 25 फीसदी शुल्क 4 मार्च से प्रभावी होगा और चीन के आयात पर भी 10 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा। इससे अमेरिका और उसके सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों के बीच तनाव बढ़ सकता है, वहीं अमेरिका की आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ सकता है जबकि कनाडा और मेक्सिको में मंदी देखी जा सकती है। चीन ने अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जवाबी शुल्क लगा सकता है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘अमेरिका की शुल्क नीति को लेकर बड़ी अनिश्चितता है। चीन पर अतिरिक्त 10 फीसदी शुल्क भारत के लिए सहज हो सकता है मगर 20 फीसदी शुल्क चुनौतीपूर्ण होगा। भारत को मूल्य निर्धारण के मामले में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिल सकती है लेकिन निवेशक सतर्क हैं क्योंकि अमेरिका के निशाने पर भारत भी आ सकता है। निवेशक फिलहाल शुल्क पर अनिश्चितता खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।’