facebookmetapixel
Upcoming NFO: पैसा रखें तैयार! दो नई स्कीमें लॉन्च को तैयार, ₹100 से निवेश शुरूDividend Stocks: 100% का तगड़ा डिविडेंड! BSE 500 कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट इसी हफ्तेUpcoming IPOs: यह हफ्ता होगा एक्शन-पैक्ड, 3 मेनबोर्ड के साथ कई SME कंपनियां निवेशकों को देंगी मौकेरुपये पर हमारी नजर है, निर्यातकों की सहायता लिए काम जारी: सीतारमणमहंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारीMarket Outlook: महंगाई डेटा और ग्लोबल ट्रेंड्स तय करेंगे इस हफ्ते शेयर बाजार की चालFPI ने सितंबर के पहले हफ्ते में निकाले ₹12,257 करोड़, डॉलर और टैरिफ का असरMCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असर

खपत और निवेश में मजबूत सुधार

सकल नियत पूंजी सृजन (जीएफसीएफ), जो बुनियादी ढांचे में निवेश का संकेतक है, वित्त वर्ष 23 में 79.7 लाख करोड़ रुपये पहुंचने की संभावना है।

Last Updated- January 06, 2023 | 11:19 PM IST
investment

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2023) के सकल घरेलू उत्पाद के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2 साल की कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था ने जोरदार वापसी की है। ऐसे में खपत और बुनियादी ढांचे में निवेश में मजबूत सुधार की उम्मीद है।

बहरहाल विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि व्यापक सुधार अभी कुछ दूर है। नॉमिनल हिसाब से निजी अंतिम खपत व्यय (पीफएसीई), जिससे घरेलू खपत का पता चलता है, वित्त वर्ष 23 में 164 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 22 में 140.9 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 21 में 120.3 लाख करोड़ रुपये था। नॉमिनल जीडीपी के प्रतिशत के रूप में पीएफसीई की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 में 60.1 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि इसके पहले के दो वित्त वर्षों में यह क्रमशः 59.6 प्रतिशत और 60.8 प्रतिशत था।

इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 23 में पीएफसीई में 7.7 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन हमारा मानना है कि अभी भी यह व्यापक सुधार से कम है। मौजूदा खपत की मांग बहुत ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं की ओर झुकी हुई है, जिसकी खपत उच्च आयवर्ग में आने वाले परिवारों द्वारा की जाती है। व्यापक आधार पर खपत में सुधार अभी कुछ दूर है।’

सकल नियत पूंजी सृजन (जीएफसीएफ), जो बुनियादी ढांचे में निवेश का संकेतक है, वित्त वर्ष 23 में 79.7 लाख करोड़ रुपये पहुंचने की संभावना है। यह वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 21 में क्रमशः 67.6 लाख करोड़ रुपये और 52.6 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 23 में 18 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी हुई है। जीडीपी के प्रतिशत हिस्सेदारी में जीएफसीएफ का हिस्सा वित्त वर्ष 23 में 29.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 22 में 28.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 21 में 26.6 प्रतिशत था।

बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘अच्छी खबर यह है कि जीएफसीएफ दर इस साल 29.2 प्रतिशत ज्यादा रहने की उम्मीद है। खपत में जहां 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है, यह मुख्य रूप से महंगाई के असर के कारण है। इसके अलावा बढ़ी मांग का असर जीएसटी संग्रह में भी नजर आ रहा है।’

सरकार का अंतिम खपत व्यय वित्त वर्ष 23 में 29.3 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह इसके पहले के दो वर्षों में क्रमशः 29.3 लाख करोड़ रुपये और 26.3 लाख करोड़ रुपये थी। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में यह वित्त वर्ष 23 में घटकर 10.7 प्रतिशत रह गया है, जो वित्त वर्ष 22 में 11.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 21 में 12.1 प्रतिशत था।

इंडिया रेटिंग्स के सिन्हा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 23 में जीएफसीएफ में 11.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि से सरकार की ओर से टिकाऊ पूंजीगत व्यय पर ध्यान दिए जाने का पता चलता है। यह वित्त वर्ष 22 के ज्यादा आधार पर आया है, जब जीएफसीएफ 15.8 प्रतिशत बढ़ा था।’ उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में टिकाऊ वृद्धि और सुधार, निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के पूंजीगत व्यय की बहाली अहम है।

अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी कि पीएफसीई और जीएफसीएफ में ज्यादातर सुधार साल की पहली छमाही में बढ़ी मांग की वजह से आया है और दूसरी छमाही में मंदी का असर देखा जा रहा है। ऐसा अगले साल भी जारी रहेगा, भले ही भारत मंदी से बचा हुआ रहेगा।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सुस्ती का अनुमान है, क्योंकि आधार का असर रहेगा, साथ ही वैश्विक वृद्धि सुस्त रहने का विपरीत असर रहेगा। परिवारों की खपत में सुधार और ठेके वाली नौकरियों से इस वित्त वर्ष में वृद्धि को समर्थन मिलने की संभावना है।’

First Published - January 6, 2023 | 11:19 PM IST

संबंधित पोस्ट