मुंबई के एक अस्पताल में घुटना प्रत्यारोपण कराने वालीं सुतापा घोष (74) को दोनों घुटनों की सर्जरी के चार दिन बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। ऑपरेशन के अगले दिन ही उन्हें चला दिया गया। अब करीब एक महीने के बाद घोष बिना छड़ी के चल रही हैं और सीढ़ियों पर बगैर किसी सहारे के चढ़-उतर रही हैं।
घोष मुस्कुराते हुए कहती हैं, ‘इतनी जल्दी घर का खाना मिलने से बहुत तसल्ली मिली। दर्द प्रबंधन (पेन मैनेजमेंट) मेरी उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर है।’ वह दर्द के खौफ से सर्जरी कराने में देर कर रही थीं। घोष जैसे कई मरीजों को अस्पतालों से जल्द छुट्टी मिल जा रही है।
फोर्टिस हेल्थकेयर में मेडिकल स्ट्रैटजी ऐंड ऑपरेशंस के समूह प्रमुख डॉ. विष्णु पाणिग्रही कहते हैं, ‘ सभी अस्पताल मरीजों के रुकने की अवधि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम क्रिटिकल केयर बेड लगातार नहीं बढ़ा सकते हैं। अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बीमा और इलाज कराने की क्षमता भी बढ़ रही है। इस तरह सिस्टम को भी काफी दुरुस्त किया गया है।’
उन्होंने कहा, ‘दर्द से राहत का ध्यान इस तरह रखा जाता है कि कुछ अस्पताल सर्जरी के लिए उसी शाम मरीजों को बुलाते हैं। इससे मरीजों को जल्दी छुट्टी देने में भी मदद मिलती है।’ वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में फोर्टिस हेल्थकेयर में ठहरने की औसत अवधि (एएलओएस) 4.32 दिन रही जो वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के 4.42 दिन से कम है।
एएलओएस का उपयोग अमूमन दक्षता संकेतक के तौर पर किया जाता है। अस्पतालों का कहना है कि भर्ती की अवधि कम होने से प्रति डिस्चार्ज लागत भी कम होगी। साथ ही रोगियों को अस्पतालों के बजाय अपेक्षाकृत कम खर्चीली देखभाल की व्यवस्था में स्थानांतरित किया जा सकेगा। उदाहरण के लिए मरीज की उनके घर पर ही देखभाल की व्यवस्था होने से उन्हें कम खर्च के साथ उनके अनुकूल माहौल में रखा जा सकेगा।
मैक्स हेल्थकेयर के समूह मेडिकल निदेशक और इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ निदेशक डॉ. संदीप बुद्धिराजा ने कहा, ‘मैक्स हेल्थकेयर ने नैदानिक देखभाल से समझौता किए बिना औसत अवधि कम करने पर लगातार ध्यान दिया है।’
उन्होंने कहा कि अस्पताल का 3.87 दिन की औसत अवधि है जो दुनिया भर के सर्वोत्तम मानकों के बराबर है। मैक्स हेल्थकेयर ने निवेशकों को जो प्रस्तुति दी है, उससे पता चलता है कि अस्पताल के पूरे नेटवर्क की औसत अवधि में लगातार गिरावट आई है। यह वित्त वर्ष 2021 के 5.2 दिनों से कम होकर वित्त वर्ष 2023 में 4.3 दिन हो गया था और उसके बाद वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में और घटकर 4.2 दिन रह गया।
मैक्स हेल्थकेयर का ऐसी समितियों के साथ लंबी अवधि के करार हैं जो अस्पतालों की मालिक हैं और उनका संचालन करती हैं। उन अस्पतालों को स्वास्थ्य देखभाल में भागीदार माना जाता है। मैक्स हेल्थकेयर ने पूरे नेटवर्क के अपने आंकड़ों का खुलासा किया।
बुद्धिराजा ने कहा, ‘हम सर्जरी वाले मरीजों को भर्ती करने से पहले उनकी एनेस्थीसिया से पहले की जांच, डायग्नोस्टिक जांच करते हैं।’ साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल स्वच्छता, सफाई, डिसइंफेक्शन, स्टरलाइजेशन को काफी महत्व देता है ताकि मरीजों को संक्रमण से बचाया जा सके।
बुद्धिराजा ने कहा कि एएलओएस में कमी से टर्नअराउंड समय ठीक होता है, बेड का उपयोग बढ़ता है और बड़े रोगी आधार के लिए अधिक बेड उपलब्ध कराने में भी मदद मिलती है क्योंकि बेड खाली हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘साथ ही इससे राजस्व में भी वृद्धि होती है।’ उन्होंने कहा कि आईसीयू बेड की कमी हमेशा से एक चुनौती रही है और मरीजों को जल्दी छोड़ने से अन्य गंभीर मरीजों के लिए बेड खाली करने में भी मदद मिलती है।
विष्णु पाणिग्रही ने कहा कि पहले अस्पताल के कुल बेड का 10 फीसदी आईसीयू के थे। अब जब हेल्थकेयर और अधिक उन्नत हो गए और सर्जरी में जटिल प्रक्रियाएं होने लगीं तो आईसीयू बेड की संख्या भी बढ़ने लगी। अब बड़े अस्पतालों में कुल बेड में आईसीयू की हिस्सेदारी 30 से 35 फीसदी हैं।
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दशकों में उद्योग में टर्नअराउंड समय में भी 40 से 50 फीसदी का सुधार हुआ है।’
देश की दूसरी सबसे बड़ी अस्पताल श्रृंखला मणिपाल हॉस्पिटल्स में बीते कुछ वर्षों में एएलओएस 4.2 दिन से कम होकर 3 दिन हो गया है। मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी दिलीप जोस ने कहा कि न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं में चिकित्सकों का कौशल, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में उन्नति, जल्द इलाज में सुधार से एएलओएस को कम करने में मदद मिल रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि एएलओएस कम करने से आमदमी बढ़ रही है और मार्जिन में भी मदद मिल रही है।
इक्रा की सहायक उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख मैत्री मैकेरला ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि नवीनतम तकनीकी उपकरणों के उपयोग से एएलओएस कम करने में मदद मिली है। इससे महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में वक्त कम लगता है और उनके संचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलती है। यह एक तरह से उनका राजस्व बढ़ा रहा है और मार्जिन में भी सुधार कर रहा है।
मगर कुछ उद्योग के सूत्रों का कहना है कि एएलओएस को कम करना कोई कारोबारी और क्षमता प्रबंधन रणनीति नहीं थी।
जुपिटर लाइफ लाइन हॉस्पिटल्स के मुख्य कार्य अधिकारी अंकित ठक्कर का कहना है, ‘प्रौद्योगिकी और उपचार प्रोटोकॉल में प्रगति से खासकर सर्जिकल और इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं के लिए वैश्विक स्तर पर एएलओएस कम हो रहा है। यह बेड की उपलब्धता से स्वतंत्र है। एएलओएस कम करना कोई कारोबारी या क्षमता प्रबंधन रणनीति नहीं है। यह नैदानिक प्रगति का परिणाम है।’