समोसा और जलेबी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने संबंधी बहस के बीच मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उसने ऐसे खाद्य उत्पादों पर कोई चेतावनी लेबल लगाने का निर्देश नहीं दिया है। मंत्रालय की ओर से यह स्पष्टीकरण तब आया जब केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी सरकारी विभागों को अपने कार्यालयों में तेल और चीनी संबंधी बोर्ड लगाने की सलाह दी थी।
मंत्रालय ने स्पष्ट कहा, ‘यह सलाह विभिन्न खाद्य पदार्थों में छिपी वसा और अतिरिक्त चीनी के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जारी की गई थी। इसमें कार्यालयों के लॉबी, कैंटीन, कैफेटेरिया और बैठक कक्षों आदि में जागरूकता बोर्ड प्रदर्शित करने के बारे में सलाह शामिल है।’
इस दिशानिर्देश को एक सामान्य सलाह बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि यह कदम लोगों को सभी खाद्य उत्पादों में छिपी वसा और अतिरिक्त चीनी के बारे में जागरूक करने के लिए उठाया गया है। यह विशेष रूप से किसी भी खाद्य उत्पाद के लिए चेतावनी नहीं है। पिछले महीने 21 जून की तारीख वाले एक पत्र में स्वास्थ्य सचिव पुण्यसलिला श्रीवास्तव ने सभी मंत्रालयों के तहत आने वाले विभागों, कार्यालयों और स्वायत्त निकायों को स्वस्थ भोजन और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी आधिकारिक स्टेशनरी और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संदेश छापने के निर्देश जारी किए थे।
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इसके बाद मामले को लेकर देश भर में बहस छिड़ गई, क्योंकि जलेबी और समोसा लगभग हर किसी का पसंदीदा स्नैक्स हैं और सड़क किनारे ठेलों से लेकर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट-होटल में लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं। मंत्रालय ने मंगलवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें उसने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह को विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य उत्पादों पर चेतावनी लेबल लगाने का निर्देश नहीं समझना चाहिए। यह सलाह भारतीय स्नैक्स के प्रति कोई चयनात्मक चेतावनी नहीं है।’
मंत्रालय ने कहा कि सरकार का इरादा भारत की समृद्ध स्ट्रीट फूड संस्कृति को लक्षित करना नहीं है। पत्र में कहा गया है कि यह सलाह स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने और मोटापे और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से निपटने के लिए जारी की गई थी।
लैंसेट जीबीडी 2021 मोटापा पूर्वानुमान अध्ययन के अनुसार, भारत में अधिक वजन वाले और मोटे वयस्कों की संख्या 2021 में 1.8 करोड़ से बढ़कर 2050 में 44.9 करोड़ होने का अनुमान है, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे अधिक वैश्विक बोझ वाला देश बना देगा।