प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश में एक बार फिर से कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी है। देशभर में कोविड-19 के सक्रिय मामले 1,000 को पार कर जाने के साथ ही अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली मरीजों के इलाज के लिए तैयार है।
जानकारों का कहना है कि मामलों में अचानक आई उछाल में हल्के वेरिएंट शामिल हैं मगर यह उछाल पहले से ही कम निवेश, चिकित्सकों की कमी और अस्पताल के बुनियादी ढांचे में गंभीर खामियों के कारण कमजोर पड़ चुकी स्वास्थ्य प्रणाली की परीक्षा ले रहा है।
साल 2017 में भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ने साल 2025 तक स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 फीसदी खर्च करने का लक्ष्य रखा था। फिर भी मौजूदा खर्च 1.4 फीसदी ही है। जानकारों ने आगाह किया है कि निवेश बढ़ाए बगैर भारत को हर दिन आने वाले और आपातकालीन स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में संघर्ष करना पड़ेगा।
इस महीने 19 से 26 मई के बीच बीच भारत में कोविड-19 के 752 नए मामले सामने आए, जिससे सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 1,009 हो गई। 430 मरीजों के साथ केरल शीर्ष पर है। उसके बाद महाराष्ट्र (209) और दिल्ली (104) का स्थान है। जानकारों का कहना है कि कोरोना के इस लहर में वायरस के हल्के रूप शामिल हैं। मगर अब तक छह मौतें हो चुकी हैं।