facebookmetapixel
परमाणु दौड़ में फिर उतरा अमेरिका! 33 साल बाद टेस्ट का आदेश, ट्रंप बोले – हमें करना ही पड़ाStock Market today: गिरावट के साथ खुला बाजार; सेंसेक्स 84,750 पर, निफ्टी भी फिसलाStocks to Watch today: कोल इंडिया, विप्रो, एलएंडटी समेत ये 10 बड़े स्टॉक रहेंगे फोकस मेंLIC ने टाटा कंज्यूमर और डाबर में बढ़ाई हिस्सेदारी – जानिए क्या है वजहBFSI Summit: भारत का वित्तीय क्षेत्र सबसे मजबूत स्थिति में, सरकार और आरबीआई ने दी जिम्मेदार वृद्धि की नसीहत2025 बनेगा भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष, BFSI समिट में बोले विदेशी बैंकरBFSI Summit: अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने में नए अवसर देख रहा है बैंकिंग उद्योगBSFI Summit: ‘एमएफआई के दबाव से जल्द बाहर निकल आएंगे स्मॉल फाइनैंस बैंक’BFSI Summit: दुनिया के शीर्ष 20 में से भारत को कम से कम 2 देसी बैंकों की जरूरतBFSI Summit: तकनीक पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में शुमार है स्टेट बैंक- शेट्टी

राज्यों में बढ़ी चौकसी, सुविधाएं करेंगे दुरुस्त

Last Updated- December 23, 2022 | 11:51 PM IST
Coronavirus Case in India
PTI

भारत में कोविड-19 को लेकर राज्यों ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर अगले सप्ताह मॉक ड्रिल की जाएगी, जिसका उद्देश्य ऑक्सीजन संयंत्र, वेंटिलेटर,लॉजिस्टिक और मानव संसाधन की जांच करना है और यह देखना है कि क्या वे चालू स्थिति में हैं या उन्हें किसी मरम्मत आदि की आवश्यकता है।

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव संजय खंडारे ने कहा कि मॉक ड्रिल केवल सरकारी सुविधाओं में आयोजित की जाएगी। भारत में औसतन 153 कोविड के नए मामले रोज आ रहे हैं। फिर भी वर्तमान में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे पर दबाव के बारे में कोई चिंता नहीं है। यहां तक कि शोधकर्ताओं का मानना है कि हमारे पड़ोसी देश चीन में मरने वालों की संख्या कई लाख तक हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों को मॉक ड्रिल के माध्यम मे अपनी तैयारी की जांच करने और निगरानी बढ़ाने के दिशानिर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक बुलाई और स्थिति के बारे में जायजा लिया। 

एक अच्छी तरह से परिभाषित निगरानी नीति तैयार की गई है। जिसमें स्वास्थ्य सुविधा आधारित निगरानी, संपूर्ण श्वास रोग संबंधी वायरस निगरानी, समुदाय-आधारित निगरानी और सीवेज या अपशिष्ट जल निगरानी शामिल है। ये सारे कदम कुछ समय से उठाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि बीएफ.7, एक ओमीक्रोन की किस्म है जो दुनिया भर में हालिया कोविड मामलों की बढ़ोतरी के पीछे जिम्मेदार हो सकती है। 

पहली बार यह भारत में जुलाई के आसपास पाया गया था। अधिकारी ने कहा कि निगरानी से पता चला है कि जिस क्षेत्र में इस किस्म का पता चलता था, उन क्षेत्रों में भी कोविड मामलों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो रही थी। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रालय ने सभी राज्यों को परीक्षण बढ़ाने का निर्देश दिया है, और कहा है राज्य लोगों को बूस्टर खुराक लेने के लिए  प्रोत्साहित करे और पूरे जीनोम अनुक्रमण को बढ़ाने का प्रयास करे। 

लगातार घट रहा संक्रमण

कोविड-19 के नए मामलों के बीच, केंद्रीय मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 की संक्रमण दर में हर सप्ताह कमी आ रही है। 13 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में इसकी संक्रमण दर 1.05 फीसदी थी, जो 16 से 22 दिसंबर वाले सप्ताह में सिर्फ 0.14 फीसदी ही देखी गई। आठ राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में कोई भी मामले नहीं देखे गए। यहां तक कि भारत में संक्रमण दर दुनियाभर के मुकाबले 0.03 फीसदी है। अक्टूबर 7-13 के बीच आ रहे औसतन मामलों की संख्या 2408 थी, जो अब घटकर 153 पर आ गई है। 

चौथी खुराक की जरूरत नहीं: विशेषज्ञ

टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के भारत के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष एन के अरोड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एहतियात के तौर पर चौथे टीके की जरूरत नहीं है। साठ वर्ष से ऊपर के लोगों को सिर्फ एहतियाती खुराक (तीसरी खुराक) लेनी चाहिए। हालांकि अरोड़ा ने कहा कि दूसरे बूस्टर डोज की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, कुछ डॉक्टरों का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा ली गई आखिरी खुराक एक साल से अधिक समय पहले ली गई थी, तो लोगों को अब दूसरी खुराक लेनी चाहिए। ये डॉक्टर हर छह महीने में रोगियों को बूस्टर खुराक लेने की सलाह देते हैं। 

गुरुग्राम स्थित पारस अस्पताल के पल्मोनोलॉजी ऐंड रेस्पिरेटरी मेडिसन विभाग के डॉ. अरुणेश कुमार ने कहा, ‘हर छह महीने में, मैं व्यक्तिगत रूप से एक बूस्टर खुराक लेता हूं क्योंकि वायरस की नई किस्मों के साथ नए संक्रमण उत्पन्न हो सकते हैं।’ अरोड़ा ने यह भी साफ किया कि दूसरे बूस्टर डोज की कोई आवश्यकता नहीं है। यहां तक कि अगर एक बूस्टर खुराक लिए एक साल से अधिक हो गया हो तो भी इसकी कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों में हाइब्रिड इम्युनिटी होती है, 97 फीसदी आबादी को प्राथमिक टीकाकरण द्वारा कवर किया जा चुका है, और लगभग 90-95 फीसदी  को संक्रमण हो चुका है। 

यह भी पढ़ें: Nasal corona vaccine: भारत बायोटेक’ के ‘इंट्रानेज़ल कोविड’ को ‘बूस्टर’ डोज के तौर पर मिली मंजूरी

क्या भारतीय टीके चीनी टीके की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं?

कुछ मीडिया रिपोर्टों ने यह बात कही है कि चीनी टीकों के कमजोर प्रभाव के कारण हाल में कोविड मामलों में उछाल देखा गया। लेकिन, सीएमसी, वेलूर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट गगनदीप कांग जैसे विशेषज्ञों ने कहा कि सिनोफार्म वैक्सीन का मुख्य रूप से चीन में उपयोग किया गया है, लेकिन इसके एक ही जैसे अन्य टीके सिनोवैक/कोरोनावेक का लैटिन अमेरिका में उपयोग किया जा रहा है और वहां से बेहतर परिणाम आ रहे हैं। 

एक ट्वीट में कांग ने कहा कि अधिकांश चीन को कम बूस्टिंग वाले निष्क्रिय टीकों की 2 खुराकें मिली हैं। चीन के निष्क्रिय टीके गंभीर बीमारी/मौत को रोकने के लिए अच्छी तरह से काम करते हैं, लेकिन एमआरएनए/वेक्टर टीकों की तुलना में कुछ हद तक कम हैं। उन्होंने कहा कि चीन को एक बूस्टर खुराक देने की जरूरत है जो इसकी मदद करेगा, लेकिन अन्य टीकों को लगाने से बेहतर परिणाम आएंगे। भारत ने वेक्टर टीकों का उपयोग किया है। जो एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड का टीका था। 

First Published - December 23, 2022 | 10:07 PM IST

संबंधित पोस्ट