राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के चेयरमैन राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने सरकार से परीक्षाओं के नॉर्मलाइजेशन और नेगेटिव मार्किंग के लिए एक समान नीति लाने का अनुरोध किया है। इससे देश भर में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यार्थियों को लाभ हो सकता है।
रविवार को 19वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के मौके पर बोलते हुए करंदीकर ने कहा, ‘एक समूह बनाने के लिए समग्र कवायद की जानी चाहिए, जिससे सभी हिस्सेदार एक मंच पर आएंगे और इस (समस्या) पर एक विचार बन सगेगा और इस (नॉर्मलाइजेशन) पर एक नीति बन सकेगी। यह सांख्यिकी से जुड़ा मसला है और इसका उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।’
अंकों का नॉर्मलाइजेशन तब करते हैं जब कोई परीक्षा कई पालियों में आयोजित कराई जाती है और किसी पाली में प्रश्नपत्र ज्यादा कठिन होता है। तब सभी के लिए कठिनाई का स्तर समान बनाने के लिए अंट ठीक किए जाते हैं। करंदीकर ने कहा, ‘लाखों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं। ऐसे में परंपरागत तरीके से एक बार में परीक्षा कराना संभव नहीं होता। ऐसे में कंप्यूटर पर परीक्षा लेना मानक बन गया है और यह कई दिन और कई सत्र में चलता है। इसका मतलब प्रश्न पत्रों के कठिन होने का स्तर अलग होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी तुलना कैसे करें। इस मामले में हर एजेंसी का अपना अलग फॉर्मूला होता है। इससे लोगों में असंतोष होता है और याचिकाएं दाखिल हो जाती हैं। ऐसा कई साल से चल रहा है।’ करंदीकर ने कहा कि इसके लिए अच्छा फॉर्मूला बनाकर याचिकाओं में कमी लाई जा सकती है।
इसके अलावा करंदीकर ने ऑनलाइन कॉर्पोरेट वोटिंग के लिए वोटों को मान्य करने हेतु यूजर वेरिफिएबल डिजिटल ऑडिट ट्रेल (यूवीडीएटी) मैकेनिज्म का प्रस्ताव रखा तथा इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समर्पित पैनल के गठन की सिफारिश की है।