facebookmetapixel
एफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहानखूब बरसा मॉनसून, खरीफ को मिला फायदा, लेकिन बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही; लाखों हेक्टेयर फसलें बरबादभारतीय प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा से देश के चिप मिशन को मिलेगी बड़ी रफ्तार, निवेश पर होगी अहम चर्चा

‘अंकों के नॉर्मलाइजेशन के लिए हो समान नीति’

इससे देश भर में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यार्थियों को लाभ हो सकता है।

Last Updated- June 29, 2025 | 10:53 PM IST
Assam exam
प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के चेयरमैन राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने सरकार से परीक्षाओं के नॉर्मलाइजेशन और नेगेटिव मार्किंग के लिए एक समान नीति लाने का अनुरोध किया है। इससे देश भर में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यार्थियों को लाभ हो सकता है।

रविवार को 19वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के मौके पर बोलते हुए करंदीकर ने कहा, ‘एक समूह बनाने के लिए समग्र कवायद की जानी चाहिए, जिससे सभी हिस्सेदार एक मंच पर आएंगे और इस (समस्या) पर एक विचार बन सगेगा और इस (नॉर्मलाइजेशन) पर एक नीति बन सकेगी। यह सांख्यिकी से जुड़ा मसला है और इसका उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।’

अंकों का नॉर्मलाइजेशन तब करते हैं जब कोई परीक्षा कई पालियों में आयोजित कराई जाती है और किसी पाली में प्रश्नपत्र ज्यादा कठिन होता है। तब सभी के लिए कठिनाई का स्तर समान बनाने के लिए अंट ठीक किए जाते हैं। करंदीकर ने कहा, ‘लाखों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं। ऐसे में परंपरागत तरीके से एक बार में परीक्षा कराना संभव नहीं होता। ऐसे में कंप्यूटर पर परीक्षा लेना मानक बन गया है और यह कई दिन और कई सत्र में चलता है। इसका मतलब प्रश्न पत्रों के कठिन होने का स्तर अलग होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी तुलना कैसे करें। इस मामले में हर एजेंसी का अपना अलग फॉर्मूला होता है। इससे लोगों में असंतोष होता है और याचिकाएं दाखिल हो जाती हैं। ऐसा कई साल से चल रहा है।’ करंदीकर ने कहा कि इसके लिए अच्छा फॉर्मूला बनाकर याचिकाओं में कमी लाई जा सकती है।

इसके अलावा करंदीकर ने ऑनलाइन कॉर्पोरेट वोटिंग के लिए वोटों को मान्य करने हेतु यूजर वेरिफिएबल डिजिटल ऑडिट ट्रेल (यूवीडीएटी) मैकेनिज्म का प्रस्ताव रखा तथा इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समर्पित पैनल के गठन की सिफारिश की है।

First Published - June 29, 2025 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट