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विमान पर कर छूट पहली बार नहीं है सुर्खियों में

Last Updated- December 07, 2022 | 12:40 PM IST

यह पहला मौका नहीं है, जब विमान पर सशर्त कर छूट समाचार पत्रों की हेडलाइन बन रही है। सीमा शुल्क विभाग ने वर्ष 1977 में कर में छूट मिले विमान को जब्त कर लिया था।


उस समय की जानी मानी शख्सियत धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने इस विमान का आयात किया था जिन्हें छूट से इनकार नहीं किया जा सका था। दरअसल उन्हें यह छूट जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाके में अपने छात्रों को योग सिखाने के लिए इस्तेमाल के वास्ते दी  गई थी।

मानतलाई एयरोड्रॉम, जहां जहाज उतरने की बात कही गई थी, वह बना ही नही था। विमान का इस्तेमाल अन्य लोगों ने किया जो योग से सीधे तौर पर जुड़े हुए नहीं थे। आपातकाल के खत्म होने के तुरंत बाद विमान को जब्त कर लिया गया था।

हालांकि इस बार इसी तरह के मुद्दे ने मीडिया का खूब ध्यान आकर्षित किया लेकिन उस समय मामला ज्यादा सुर्खियों में छाया रहा था लेकिन उस समय इस मुद्दे पर उतना ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि उसमें कुछ आयातक शामिल थे और पृष्ठभूमि में आपातकाल की ज्यादतियां थीं। पहले तो इस मामले से जुड़े कानूनी अवस्थिति को जान लें। विमान पर शुल्क का प्रावधान हेडिंग 880230 और 880240 में है और वह महज 3 प्रतिशत है, लेकिन अधिसूचना संख्या 612007, तारीख 3 मई 2007 की संख्या 104 के तहत इसमें छूट का प्रावधान है।

इसी शर्तों के मुताबिक काउंटरवेलिंग यानी प्रतिपूर्ति शुल्क में भी कटौती का प्रावधान है। यहां पर ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट का उदाहरण नहीं लिया जा रहा है। इस संबंध में शर्तें कुछ इस प्रकार की है। विमान का इस्तेमाल गैर-निर्धारित कार्यक्रम या गैर-निर्धारित चार्टर सेवा के अलावा होना चाहिए। यह विमान नियम 1937 में परिभाषित है। चार्टर सेवा चार्टर या हायर के लिए होनी जरूरी है या उसे प्रकाशित टैरिफ से हायर किया जाना जरूरी है। इसमें किसी प्रकार का वैयक्तिक इस्तेमाल हटाया गया है।

इस तरह की किसी शर्तों का उल्लंघन इस पर शुल्क लगाने का रास्ता साफ करेगा। इस उल्लंघन के बाद सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 111 (ओ) के तहत अपेक्षित दर उन विमानों पर आरोपित किया जाएगा। इस धारा में इस बात का ही जिक्र किया है कि किसी विशेष शर्तों के उल्लंघन के बाद उस पर कर आरोपित किया जाए। और अगर उस पर कर लगाने की बात है, और अगर उल्लंघन करने वाले द्वारा यह कर नहीं चुकाया जाता है, तो सीमा शुल्क विभाग इन सेवाओं को बाधित भी कर सकता है।

वैसे उल्लंघन का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। अगर लॉग बुक की सही तरीके से जांच की जाए, तो यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किसने किन-किन शर्तों का उल्लंघन किया है। सशर्त छूट की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस सेवा का गलत इस्तेमाल न किया जाए। एंड-यूज सर्टिफिकेट सिस्टम इसी तरह का एक तंत्र है। इसमें सिर्फ यह अंतर है कि एंड-यूज सर्टिफिकेशन सिस्टम सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि निरंतर आधार पर लंबी अवधि की शर्तों को नियंत्रित करना थोडा मुश्किल जरूर होता है।

इस संबंध में एक बेहतरीन उदाहरण यह हो सकता है कि ऐसा अस्पताल जो गरीबों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराए, तो उनके द्वारा दवाइयों और उपकरणों के आयात पर कर में छूट दी जाती है। अगर इस छूट की आड़ में शर्तों का उल्लंघन किया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय में इसके विरूद्ध मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके बाद एक जांच समिति बनाई जाती है, जो उल्लंघन के कई मामलों की पड़ताल करती है। अस्पताल इसमें कहते हैं कि हर तरह के खाते की जानकारी सुरक्षित रख पाना अव्यवहारिक है।

विमान के लिए चूंकि दर मात्र 3 प्रतिशत है और अन्य मामले में यह दर 7.5 से 10 प्रतिशत के आसपास होती है। इसलिए इस संबंध में यह बेहतर होगा कि 2 प्रतिशत शुल्क लगाया जाए और 1 प्रतिशत काउंटर वेलिंग शुल्क आरोपित किया जाए और किसी प्रकार की सशर्त छूट का प्रावधान खत्म कर दिया जाए।

First Published - July 21, 2008 | 12:41 AM IST

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