facebookmetapixel
Lenskart IPO Listing: अब क्या करें निवेशक? Buy, Sell या Hold?बैंक खाली हो रहे हैं! कहां जा रहा है पैसा?Torrent Power Q2 results: मुनाफा 50% बढ़कर ₹741.55 करोड़, रिन्यूएबल एनर्जी से रेवन्यू बढ़ाFY26 में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 7% बढ़कर ₹12.92 लाख करोड़ पर पहुंचा, रिफंड में सुस्ती का मिला फायदाDelhi Red Fort Blast: लाल किला धमाके से पुरानी दिल्ली के बाजारों में सन्नाटा, कारोबार ठपअक्टूबर में SIP निवेश ₹29,529 करोड़ के ऑलटाइम हाई पर, क्या है एक्सपर्ट का नजरियाहाई से 43% नीचे गिर गया टाटा ग्रुप का मल्टीबैगर शेयर, क्या अब निवेश करने पर होगा फायदा?Eternal और Swiggy के शेयरों में गिरावट! क्या अब खरीदने का सही वक्त है या खतरे की घंटी?अक्टूबर में इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश 19% घटकर ₹24,690 करोड़, SIP ऑलटाइम हाई परDelhi Pollution: AQI 425 के पार, बढ़ते प्रदूषण के बीच 5वीं क्लास तक के बच्चों की पढ़ाई अब हाइब्रिड मोड में

देशद्रोह के मामले घटे लेकिन 2016 के मुकाबले रहे अधिक

Last Updated- December 11, 2022 | 6:57 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मई को एक अंतरिम आदेश पारित कर 152 वर्ष पुराने देशद्रोह कानून को स्थगित करते हुए केंद्र और राज्यों से कहा कि जब तक कानून की समीक्षा की जा रही है तब तक के लिए इस कानून के तहत नई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से परहेज करें। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में करेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण में पता चला है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए या देशद्रोह कानून के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों की संख्या में जहां 2020 और 2021 में कमी आई वहीं इनकी संख्या 2016 से पहले दर्ज किए गए मामलों की तुलना में फिर भी अधिक हैं।        
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले आठ वर्षों (2014 से 2021 तक) में देशद्रोह के करीब 400 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से आधे से अधिक 236 मामले 2018 और 2020 के बीच दर्ज किए गए थे।    
राज्यों ने जहां अधिक संख्या में देशद्रोह के मामले दर्ज किए वहीं दोषसिद्घि की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ। 2018 और 2020 के बीच दर्ज किए गए 236 मामलों में से केवल पांच में दोषसिद्घि हो पाई। 2018 और 2019 के बीच जिस तेजी से मामले बढ़े उसी तेजी से अदालत से बरी होने के मामले भी आए। 2018 में 70 मामले दर्ज किए गए जिसमें से 11 आरोपित बरी हो गए और 2019 में 93 मामले दर्ज किए गए और बरी होने के मामले करीब एक तिहाई बढ़कर 29 हो गए।
राज्यसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक 2021 में देशद्रोह या गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम या दोनों के तहत 43 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 28 मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सका।
सचाई यह है कि 2014 से 2021 के आठ वर्षों में से केवल दो वर्ष दर्ज किए गए मामलों में से 50 फीसदी से अधिक में आरोप पत्र दाखिल किए गए। 2018 के बाद से यह अनुपात घटता जा रहा है। 2018 में दर्ज गिए कए मामलों में से 54.3 फीसदी मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए। 2019 में यह अनुपात घटकर 41.9 फीसदी और 2020 में 31.5 फीसदी पर आ गया। 2021 में यह अनुपात फिसलकर 31.3 फीसदी पर आ गया।   
असम में 2016 तक देशद्रोह का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ था लेकिन 2017 से 2020 के बीच देश में दर्ज हुए कुल मामलों में इसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी से अधिक थी। 2018 में कर्नाटक में केवल दो मामले दर्ज हुए थे। महज एक वर्ष बाद 2019 में देशद्रोह के एक चौथाई मामले केवल कर्नाटक से थे।
‘ए डेकेड ऑफ डार्कनेस’ नाम की वेबसाइट के मुताबिक 2010 से 13,000 भारतीयों के खिलाफ देशद्रोह के 800 से अधिक मामले दर्ज किए गए। यह वेबसाइट देश भर में देशद्रोह के मामलों पर आंकड़ों का संग्रह करती है।

First Published - May 17, 2022 | 12:43 AM IST

संबंधित पोस्ट