सर्वोच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित आईबीसी प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को विभिन्न उच्च न्यायालयों से अपने पास स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। तीन जजों न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी वाले पीठ ने उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर अब अन्य याचिकाओं को नहीं सुनने का निर्देश दिया है। यह खबर लिखे जाने तक आधिकारिक आदेश सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया था, लेकिन इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों का कहना है कि न्यायालय ने इन मामलों को अपने पास मंगाने की अनुमति दे दी है।
इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 2 दिसंबर प्रस्तावित है। उद्योग के सूत्रों के अनुसार,दिल्ली, तेलंगाना और मध्य प्रदेश की उच्च अदालतों में कॉरपोरेट देनदार की पर्सनल गारंटी से संबंधित कम से कम 19 याचिकाएं हैं। शीर्ष अदालत का यह आदेश इस मामले में इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंगक्रप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) द्वारा दायर याचिकाओं को स्थानांतरित करने की प्रतिक्रिया के तौर पर आया है। बैंकों द्वारा 1,200 करोड़ रुपये के लिए व्यक्तिगत गारंटी एडीए समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी से संबंधित है।
आईबीबीआई ने अपनी याचिका में कहा है, ‘विभिन्न लिखित याचिकाएं एक से ज्यादा उच्च न्यायालयों में दायर कराई गई थीं जिससे कानून को लेकर सवाल उठाए गए थे।’ अतिरिक्त महाधिवक्ता माधवी दीवान ने कल अदालत के समक्ष आईबीबीआई के तर्क को पेश किया था।
इस साल अगस्त में, अंबानी ने अपनी व्यक्तिगत गारंटी का इस्तेमाल करने से संबंधित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की याचिका के खिलाफ अपील की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एसबीआई के अनुरोध को ठुकरा दिया था और सरकार के इनसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस रेग्युनलेशन 2019 फॉर पर्सनल गारंटर्स टु कॉरपोरेट डेब्टर्स को चुनौती देने वाली अंबानी की याचिका पर उच्च न्यायालय को सुनवाई का निर्देश दिया था।
किसी कॉरपोरेट देनदार की व्यक्तिगत गारंटी जब्त करने के लिए कानून नवंबर 2019 में बनाए गए थे। इसका मकसद लेनदारों को व्यक्तिगत गारंटर के जरिये कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया से प्राप्त रकम हासिल करने में सक्षम बनाना था। आईबीबीआई के नियमों में अनुमति दी गई कि व्यक्तिगत गारंटी के ऐसे मामले राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा निपटाए जाएंगे।
हालांकि व्यक्तिगत गारंटरों ने इन नियमों में खामियां पाईं, क्योंकि इनमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि क्या लेनदार को समाधान योजना के लिए सहमति के बाद रकम पर कोई अधिकार होगा।
हालांकि कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू करने के प्रावधान दिसंबर तक रद्द कर दिए गए हैं, लेकिन ऋणदाताओं को कॉरपोरेट देनदारों के लिए दी गई व्यक्ति गारंटी का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।
एमटेक ऑटो के पूर्व प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाएंगे बैंकर
भारतीय रिजर्व बैंक की 12 शीर्ष गैर-निष्पादित आस्तियों की सूची में शामिल एमटेक ऑटो के लेनदारों ने कंपनी के पूर्व प्रवर्तक अरविंद धाम की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने के लिए एक याचिका दायर की है। इस मामले से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी। बैंकों ने हाल में नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के चंडीगढ़ पीठ में इस मामले में एक रिट याचिका दायर की है।
