सर्वोच्च न्यायालय ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच करने के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश पर कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को हटाने के लिए दायर की गई उसकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक आयोग ने इन कंपनियों पर गैर-प्रतिस्पर्धी कारोबारी तरीकों को अपनाने संबंधी आरोपों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था।
यह मामला दोबारा से कर्नाटक उच्च न्यायालय में चला गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को निर्देश दिया है कि वह एमेजॉन और फ्लिपकार्ट द्वारा तथाकथित गैर-प्रतिस्पर्धी तरीकों को अपनाने के खिलाफ जांच पर रोक हटाने की सीसीआई की याचिका पर निर्णय दे। उच्च न्यायालय को कहा गया है कि वह छह हफ्तों में इस मामले पर निर्णय दे। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना के पीठ ने सीसीआई को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय में जाए।
सीसीआई की ओर से पेश होने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ सीसीआई की ओर से दिए गए जांच के आदेश की प्रकृति प्रशासनिक है। इससे किसी पक्ष के अधिकारों पर असर नहीं पड़ता है।
ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीसीआई ने 200 दिनों से अधिक के बिलंब से सर्वोच्च अदालत का रुख किया है।
इस महीने के आरंभ में सीसीआई ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच के अपने आदेश पर कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक के खिलाफ अपील की थी।
7 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है।
कैट के महासचिव प्रवीण खांडेलवाल ने कहा कि कैट सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की प्रशंसा करता है क्योंकि इसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय को मामले में निर्णय लेने के लिए छह हफ्तों का समय दिया गया है।
