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पहली बार में अधिकारी को न बुलाएं

Last Updated- December 11, 2022 | 4:30 PM IST

  कानून की व्याख्या को लेकर को लेकर मतभेद के कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान न करने वाले संभवतः अब प्राधिकारियों द्वारा गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे। इस सिलसिले में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबईआईसी) के तहत आने वाली जीएसटी की जांच शाखा ने निर्देश जारी किए हैं।
इसमें कहा गया है कि कंपनियों के शीर्ष अधिकारी पहले मामले में तलब नहीं किए जाने चाहिए, जब तक कि यह मानने के लिए उचित वजह न हो कि वे ऐसे फैसलों में शामिल रहे हैं, जिसकी वजह से खजाने को राजस्व का नुकसान हुआ है। सिर्फ उन लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा, जिनका कर चोरी का इरादा हो, या गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट आदि का इस्तेमाल कर रहे हों।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिशानिर्देशों का व्यापक असर होगा और जीएसटी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारी और समन को लेकर उद्योग में व्याप्त भय खत्म होगा।
इसमें कहा गया है कि उन मामलों में गिरफ्तारी नहीं हो सकती, जहां मामला तकनीकी प्रकृति का हो और कर की मांग कानून की अलग तरह की व्याख्या व अलग राय की वजह से की गई हो।
सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69 (1) में कमिश्नरों को अधिकार दिया गया है कि वे ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं, जो कुछ निश्चित तरीके का अपराध करते हैं। बहरहाल किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने के पहले कमिश्नर को निश्चित रूप से यह तय करना होगा कि उचित जांच के बाद ऐसा किया गया है या व्यक्ति जांच या साक्ष्यों पर असर डाल सकता है या व्यक्ति धोखे से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में शामिल रहा है।
इस दिशानिर्देश में गिरफ्तारी की प्रक्रियाओं को भी स्पष्ट किया गया है, जैसे दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का पालन करना और गिरफ्तारी के बारे में अधिकृत व्यक्ति को सूचित करना, गिरफ्तारी की तिथि और समय दर्ज करना, दस्तावेज पहचान संख्या का उल्लेख करना आदि शामिल है।
इसके अलावा मुख्य आयुक्तों को हर गिरफ्तारी के बारे में सदस्य (अनुपालन प्रबंधन) को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट भेजनी होगी और सभी गिरफ्तार लोगों के बारे में अगले महीने की 5 तारीख तक जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय को मासिक रिपोर्ट भेजनी होगी। बहरहाल इन निर्देशों के बावजूद आयुक्त अभी भी किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं, अगर उन्हें लगता है कि दोषी व्यक्ति की कर चोरी की नीयत थी।
लेकिन विशेषज्ञों  का कहना है कि इन दिशानिर्देशों से उद्योग को राहत मिलेगी।
ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि इन दिशानिर्देशों से गिरफ्तारी के प्रावधान का दिमाग से इस्तेमाल को लेकर स्पष्टता आई है और यह अगस्त 2021 को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि व्यक्तिगत स्वंत्रतार एक महत्त्वपूर्ण पहलू है और इस तरह से हिरासत में लेकर जांच तभी जरूरी है, जब आरोपी पर किसी गंभीर अपराध का मामला हो, गवाह को प्रभावित कर सकता हो और देश से भाग सकता हो… आदि।
केपीएमजी में अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि जीएसटी अधिकारियों को इन निर्देशों का पालन करना चाहिए और इन सिद्धांतों व प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘करदाताओं को भी इन दिशानिर्देशों का अध्ययन करना चाहिए, जिससे वे अपने अधिकार समझ सकें।’ जांच शाखा ने एक और दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें क्या करें और समन जारी करने के मामले में क्या न करें की पूरी प्रक्रिया दी गई है। इसमें कहा गया है कि चेयरमैन, प्रबंध निदेशकों, मुख्य कार्याधिकारियों, मुख्य वित्तीय अधिकारियों को दस्तावेज की मेग या पहली घटना में साक्ष्य मिलने के मामले में समन नहीं जारी किया जाना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारी से लिखित अनुमति मिलने पर ही सुपरिंटेंडेंट के द्वारा समन जारी करना चाहिए। वैधानिक रिकॉर्ड की मांग के लिए समन जारी करने से बचना चाहिए क्योंकि वजह जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध होता है।
इसके अलावा समन जारी करने वाले अधिकारी को उस वक्त एवं तिथि को उपस्थित रहना होगा, जिस तिथि के लिए समन जारी किया गया है। दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि बार बार समन जारी करने से बचना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसे सही से तामील किया गया है। वैकल्पिक रूप से विभाग समन की जगह सूचना की मांग के लिए एक पत्र जारी कर सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन को समन न जारी करने को लेकर विशेष स्पष्टीकरण का यह पहला मामला है, जिससे करदाताओं को हो रही अनावश्यक दिक्कतें दूर करने में मदद मिलेगी।

First Published - August 19, 2022 | 11:28 AM IST

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