facebookmetapixel
राशन कार्ड के लिए सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत नहीं, बस ये ऐप डाउनलोड करेंQ2 results today: ONGC से लेकर Vodafone Idea और Reliance Power तक, आज इन कंपनियों के आएंगे नतीजेBihar Elections 2025: हर 3 में 1 उम्मीदवार पर है आपराधिक मामला, जानें कितने हैं करोड़पति!₹70 तक का डिविडेंड पाने का आखिरी मौका! 11 नवंबर से 10 कंपनियों के शेयर होंगे एक्स-डिविडेंडGroww IPO Allotment Today: ग्रो आईपीओ अलॉटमेंट आज फाइनल, ऐसे चेक करें ऑनलाइन स्टेटस1 अक्टूबर से लागू Tata Motors डिमर्जर, जानिए कब मिलेंगे नए शेयर और कब शुरू होगी ट्रेडिंगStock Market Update: शेयर बाजार की पॉजिटिव शुरूआत, सेंसेक्स 200 से ज्यादा अंक चढ़ा; निफ्टी 25550 के करीबअगर अमेरिका ने Google-Meta बंद किए तो क्या होगा? Zoho के फाउंडर ने बताया भारत का ‘Plan B’Stocks To Watch Today: Swiggy, HAL, Patanjali Foods समेत इन 10 दिग्गज कंपनियों से तय होगा आज ट्रेडिंग का मूडजियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सरकार से पूरे 6G स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग की

प्रवासी भुगतान स्रोत पर कटौती जरुरी

Last Updated- December 07, 2022 | 6:41 PM IST

जब किसी प्रवासी भारतीय को किसी रकम का भुगतान किया जाता है तो यह भुगतान करने वाले की जिम्मेदारी बनती है कि वह स्रोत पर ही कर की कटौती कर दे।


आयकर की धारा 195 में यह प्रावधान है कि प्रवासी को भुगतान करने वाला व्यक्ति स्रोत पर ही कर का निर्धारण करे और कर की कटौती की जाए या फिर जब प्रवासी के खाते में रकम जमा कराई जा रही हो तो उसके पहले कर की कटौती कर ली जाए।

अगर कोई व्यक्ति स्रोत पर ही कर में कटौती नहीं कर पाता है तो ऐसे में वह उस रकम को भी उसकी आय में ही गिना जाएगा और वह कर में छूट का हकदार नहीं रह जाएगा।

अक्सर ऐसे मामलों में विवाद तब होता है जब भुगतान करने वाले व्यक्ति को यह लगता है कि वह प्रवासी को जिस रकम का भुगतान कर रहा है वह भारतीय आयकर की धारा के तहत कर के दायरे में आती ही नहीं है।

तो सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे मामलों में भी भुगतान करने वाले को स्रोत पर ही कर की कटौती कर लेनी चाहिए?
एआई एनआईएसआर पब्लिशिंग (239 आईटीआर 879) के एक मामले में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) ने भी यही राय व्यक्त की थी।

उच्चतम न्यायालय ने ए पी लिमिटेड के ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन बनाम सीआईटी (239 आईटीआर 587) के मामले में साफ कहा था कि आयकर की धारा 195 की उपधारा (1) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि धारा 4 के तहत अगर किसी प्रवासी को रकम का भुगतान किया जा रहा है तो ऐसे में भुगतान करने वाले को स्रोत पर ही आय कर वसूल लेना चाहिए।

यह प्रावधान इसलिए है ताकि कर का समय से उचित मूल्यांकन किया जा सके और जब कर की कटौती की जाती है तो ऐसे में दोनों ही पार्टियां कर में छूट की दावेदारी से वंचित नहीं होती हैं।

सर्वोच्च न्यायालय का यह भी कहना था कि अगर भुगतान करने वाले व्यक्ति को यह लगता है कि चुकाई गई रकम कर के दायरे में नहीं आती या फिर उस रकम पर कम दर से कर वसूला जाना चाहिए तो ऐसे में भुगतान करने वाले को मामले को ध्यान में रखते हुए धारा 195 (2), 193 (3) या 197 के तहत आवेदन पेश करना चाहिए।

यही वजह है कि अगर कभी ऐसा हो कि कर में कटौती को लेकर संशय की स्थिति हो तो ऐसे में प्रवासियों को चाहिए कि वह मूल्यांकन अधिकारी से संपर्क स्थापित करने के बजाय कोई वैकल्पिक रास्ता अपनाएं।

रिजर्व बैंक ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि जब तक आयकर विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं हासिल किया जाता तब तक कर चुकाने वाले व्यक्ति को पैसे नहीं लौटाए जाएंगे।

18 नवंबर, 1997 को एक अधिसूचना (संख्या 759) जारी कर यह साफ किया गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक अदा की गई रकम की वापसी तभी करेगी जब अधिकृत एकाउंटेंट से अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका हो (सर्कुलर संख्या 102002 दिनांक 9 अक्टूबर, 2002 भी देखें)।



 

First Published - August 24, 2008 | 11:59 PM IST

संबंधित पोस्ट