प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से वार्ता करने की गुजारिश करती है और जिन्हें भी इन कानूनों को लेकर कोई भ्रम हो उनके साथ सरकार हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर बातचीत करने के लिए तैयार है। मोदी ने मध्य प्रदेश में किसान सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा, ‘सरकार की सभी कोशिशों के बावजूद जिन्हें भी कृषि कानूनों को लेकर कोई संदेह हो हम उनके साथ हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर बातचीत करने के लिए तैयार हैं।’ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर 23 दिन से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने ही इन कानूनों की वकालत की थी लेकिन अब वे इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि इन सुधारों का श्रेय उन्हें मिल पाए।
इस बीच प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों की समस्या का समाधान किए बगैर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-विपक्ष की राजनीति का खेल, खेल रहे हैं और ठंड में किसानों की बढ़ती मुश्किल से बेपरवाह होकर कॉरपोरेट जगत के पक्षधर बन रहे हैं।
मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गए हैं बल्कि, ये काफी समय से लंबित थे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लंबे समय से ऐसे कृषि सुधारों की मांग की जा रही थी।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को उन दलों और नेताओं से जवाब मांगना चाहिए आखिर उन्होंने लंबे समय तक अपने घोषणापत्र में इन कृषि कानूनों की वकालत क्यों की लेकिन वादा कभी नहीं पूरा किया क्योंकि यह उनकी प्राथमिकता नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘उनको दिक्कत इस बात की है कि मोदी ने यह कर दिखाया। मोदी को श्रेय क्यों मिले। आप अपने घोषणा पत्र को श्रेय दीजिए मुझे श्रेय नहीं चाहिए। मुझे किसानों के जीवन में तरक्की और समृद्धि चाहिए। आप किसानों को बरगलाना और भ्रमित करना छोड़ दीजिए।’
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने की बात पर प्रधानमंत्री ने साफ किया कि सरकार एमएसपी की प्रणाली पर गंभीर है जिसकी घोषणा बुआई से पहले ही की जाती है। उन्होंने कहा, ‘नए कृषि कानूनों पर अमल करने के छह महीने से अधिक का वक्त निकल चुका है और कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी फसलों की खरीद की गई थी और वह भी उन्हीं मंडियों में जहां किसान पहले बिक्री किया करते थे।’
मोदी ने फसलों के लिए एमएसपी जारी रखने का आश्वासन देते हुए कहा, ‘कोई भी समझदार व्यक्ति एमएसपी को रद्द करना स्वीकार नहीं करेगा। इससे बड़ा झूठ और साजिश नहीं हो सकती है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग कृषि कानूनों के बारे में भ्रम फैला रहे हैं वे कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के बारे में भी झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘नए कानून के तहत किसान मौजूदा एपीएमसी मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र हैं अगर उन्हें ज्यादा कीमत मिलती है। पिछले छह महीने में एक भी मंडी बंद नहीं हुई है।’
कांग्रेस और अन्य दलों पर इन कानूनों के प्रति किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने साफ किया कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और यह व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर एमएसपी और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यानी कृषि मंडी के मुद्दे पर किसानों को बरगलाने और भ्रम में डालने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लंबे समय से ऐसे कृषि सुधारों की मांग की जा रही थी। मोदी ने मध्य प्रदेश में किसान सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं किसानों को भरोसा दिलाता हूं कि एमएसपी खत्म नहीं किया जाएगा, यह जारी रहेगी। विपक्ष इस बारे में झूठ बोल रहा है।’
किसानों और निजी इकाइयों के बीच अनुबंध से जुड़े नए कानून का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह के समझौते हुआ करते थे। नए कानून से ऐसे समझौते निजी इकाइयों के लिए ज्यादा बाध्यकारी हो जाएंगे और वे किसानों से किए गए अपने वादे से मुकर नहीं सकते भले ही उन्हें नुकसान क्यों न हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह 25 दिसंबर को एक बार फिर किसानों को संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल जब सत्ता में थे तब सालों से स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट दबाकर बैठे थे लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों के हित में इस कमेटी की सिफारिशों को लागू किया।
इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार मुद्दे का समाधान करने के लिए विभिन्न किसान संगठनों के साथ अनौपचारिक चर्चा कर रही है लेकिन किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर चलाने वाले लोगों से बात करने का कोई मतलब नहीं है। मंत्री ने उम्मीद जताई कि नए साल से पहले यह गतिरोध समाप्त हो सकता है और मोदी सरकार किसानों की सभी वास्तविक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।