प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि चूंकि भारत कोविड-19 के टीकों की उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है, इसलिए टीकों का निर्यात बढ़ेगा। देश के प्रमुख दवा विनिर्माताओं के संगठन-इंडियन फार्मास्यूटिकल अलायंस द्वारा आयोजित वैश्विक नवोन्मेष शिखर सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘हमने महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया। हमने इस वर्ष करीब 100 देशों को कोविड के टीकों की 6.5 करोड़ से अधिक खुराक का भी निर्यात किया है। आने वाले महीनों में जैसे-जैसे हम अपनी टीका उत्पादन उत्पादन क्षमता बढ़ाएंगे, हम और भी ज्यादा निर्यात करेंगे।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने जो वैश्विक भरोसा हासिल किया है, उसकी वजह से आज देश को ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की दृष्टि नवोन्मेष के लिए एक ऐसा माहौल विकसित करने पर है, जिससे देश दवाओं की खोज और चिकित्सकीय उपकरणों के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करे।
उन्होंने कहा, ‘हमारी नीतियां सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर बन रही हैं।’ प्रधानमंत्री ने भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता वाले वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी की व्यापक उपलब्धता का हवाला देते हुए कहा कि ‘खोज करने और भारत में निर्माण करने’ की क्षमता का और भी उपयोग किया जाना चाहिए।
उन्होंने वैश्विक बाजार में भारत की पारंपरिक दवाओं की बढ़ती स्वीकार्यता और मांग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब इन उत्पादों (पारंपरिक दवाओं) की महत्त्वपूर्ण और बढ़ती मांग है। हाल के वर्षों में इन उत्पादों के निर्यात में तेज वृद्धि के माध्यम से इसे देखा जा सकता है। वर्ष 2020-21 में ही भारत ने 1.5 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की हर्बल दवाओं का निर्यात किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी भारत में अपना वैश्विक परंपरागत दवा केंद्र स्थापित करने के लिए काम कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘आज करीब 13 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष तथा 30 लाख लोगों को रोजगार देने वाला फार्मा क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में वर्ष 2014 से 12 अरब डॉलर से अधिक विदेशी निवेश आया है। क्षेत्र की क्षमता इससे कहीं अधिक है।’