दिल्ली की अवनी को हाल ही में बायोमेट्रिक टेस्ट और वीज़ा इंटरव्यू के लिए कोलकाता जाना पड़ा ताकि वह अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में समय पर पहुंच सके।उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ मुझे बायोमेट्रिक टेस्ट और वीज़ा इंटरव्यू के लिये जुलाई के अंत तक अपॉइन्टमेंट मिल सकता था लेकिन यह मेरे लिए संभव नहीं था। कॉन्सुलर ऑफिस में स्टॉफ की कमी और आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे छात्रों की भीड़ के कारण मैं बायोमेट्रिक टेस्ट औरवीज़a इंटरव्यू के लिये अपने मनचाहे केंद्र पर अपॉइन्टमेंट नहीं ले पाई। मेरी कुछ दोस्तों को इसी काम के लिए चेन्नई तक जाना पड़ा।’
महामारी के बीच कॉन्सुलर ऑफिस में स्टाफ की कमी और वीज़ा आवेदनों में भारी बढ़त से लेकर बोर्ड परीक्षा के परिणाम में देरी तक जैसे कई ऐसे कारण हैं जो ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं।
उदाहरण के लिये, दिल्ली की प्रणीति गुलयानी को स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ऐन्ड्रयू में पढ़ने जाना था लेकिन सीबीएसई रिजल्ट में देरी के कारण दूसरे विकल्प के तौर पर उनको अमेरिका की यूसी बर्कली में प्रवेश लेना पड़ा।
ब्रिटेन, कनाडा और गैर अमेरिकी देशों के विश्वविद्यालयों में सशर्त प्रवेश दिया जाता है जो पर्सेंटेज स्कोर के आधार पर होता है और इसका मानक हर कैंपस में अलग-अलग होता है। हमें यह बिना उनके द्वारा प्राप्त किसी स्पष्टीकरण के देना होता है। इस साल भी बोर्ड परीक्षा के परिणाम में देरी के कारण इस बात का संदेह है कि क्या वह यूनिवर्सिटी ऑफ ऐन्ड्रयू के कट-ऑफ स्कोर तक पहुंच पाएंगी।
आम तौर पर, आपातकालीन मामलों में अमेरिकी कॉन्सुलर अनुभागों की नियुक्तियों में तेजी लाई जाती है। इसलिए छात्रों को अपना I-20 मिलने के तुरंत बाद ही साक्षात्कार निर्धारित करने की योजना बना लेनी चाहिए। इसके लिए एक भाग्यशाली छात्र वंश जैन हैं, जो ड्रॉप बॉक्स नवीनीकरण के लिए योग्य साबित हुए।
जैन ने कहा कि जब मैं आवेदन कर रहा था तो दिल्ली में तीन महीने की प्रतीक्षा अवधि थी। जैसा कि क्लास 2022 से शुरू होने वाली थी अगर मुझे इस समय के अंदर वीजा प्रक्रिया पूरी करनी होती तो मुझे भी कोलकाता या चेन्नई जाना पड़ता। कॉलेजीफाई के सह-संस्थापक और निदेशक, आदर्श खंडेलवाल जैसे विदेशी शिक्षा सलाहकार कहते हैं कि भारतीय छात्र समयसीमा में बाधा के कारण फाल सेमेस्टर के बीच अपनी पढ़ाई नहीं शुरू कर पाते।
खंडेलवाल ने कहा कि वीजा के लिए विवरण बहुत जरूरी होता है ऐसे में बोर्ड परिणाम में देरी से विदेशों में प्रवेश लेने के लिए काफी मुश्किल झेलना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, अमेरिकी विश्वविद्यालय I-20 जारी करते हैं जबकि ब्रिटेन सीएएस लेटर जारी करता है। जहां एक तरफ छात्रों के लिए अमेरिका में प्रवेश लेना आसान है क्योंकि वहाँ प्रवेश प्रक्रिया सशर्त नहीं है, वहीं दूसरी तरफ अन्य देशों में प्रवेश काफी कठिन है।
छात्रों की भीड़ और छूट जाने की संभावना को देखते हुए ब्रिटेन की कुछ यूनिवर्सिटी जैसे लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स और किंग्स कॉलेज ने बिना शर्त के प्रवेश देना शुरू कर दिया है। इसको देखते हुए खंडेलवाल जैसे सलाहकार छात्रों को इस यूनिवर्सिटी के संपर्क में लगातार बने रहने की सलाह दे रहे हैं। वह अपनी तरफ से दूसरों के मुकाबले छात्रों के वीजा को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
वीजा आवेदनों में बढ़ोत्तरी
अमेरिकी महावाणिज्यिक दूतावास, मुंबई के प्रवक्ता निक नोवाक ने कहा कि उदाहरण के लिए, साल 2021 की गर्मी में यूएस मिशन इंडिया ने 70,000 से ज्यादा छात्रों को वीजा दिया था। अक्टूबर 2021 से मध्य जनवरी तक लगभग 41,000 से ज्यादा छात्रों की वीजा दिया गया। यह 2020 के मुकाबले 55 प्रतिशत और 2019 के मुकाबले 75 प्रतिशत ज्यादा है।
बड़े तौर पर देखें तो भारत में कॉन्सुलर अनुभाग ने 2022 के पहले तीन महीनों में 1,62,000 कुल वीजा आवेदनों को प्रमाणित किया था और यह जून,जुलाई और अगस्त के महीनों में छात्रों के वीजा को लेकर अधिक केंद्रित है।
उन्होंने कहा जैसा कि 2022 पर स्थिति अपना पुराना रूप ले रही है, अभी पूरी तरह से सब कुछ ठीक होने में और समय लगेगा।
लंबे समय तक के इंतजार का समय आने वाले दिनों के लिए भी इतना ही बना रहेगा। विशेष रूप से गर्मी के महीनों में , एच/एल आवेदक और बी1/बी2 यात्रियों के बीच, इसकी मांग और ज्यादा रहेगी। हालांकि आवेदक को यह उम्मीद रख सकते हैं कि 2023 प्रणाली में कुछ सुधार आएगा और लोगों को कुछ आसानी होगी।
ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इन दिनों पूरे विश्व भर में अप्रत्याशित संख्या में वीजा की मांग देखी जा रही है। इस दौरान स्टैंडर्ड विजिट वीजा का वैश्विक रूप से प्रसंस्करण होने में औसतन सात हफ्ते लग जाते हैं वहीं दूसरे तरह के आवेदनों में कुछ और समय लग जाता है।
उन्होंने कहा, ‘भारत में ब्रिटेन पढ़ने जाने के लिए वीजा आवेदन करने वाले लोगों की संख्या पहले से ही काफी ज्यादा है। हालांकि छात्र वीजा को मानक सेवा (तीन हफ्ते) के अंदर ही आगे बढ़ा दिया जाता है।’ हम छात्रों से जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी वीजा आवेदन जारी रखने की सिफारिश करते हैं ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की देरी का सामना न करना पड़े। हम ग्राहकों को उनके व्यक्तिगत आवेदन के लिए विशेष समय देने में असमर्थ हैं । इसलिए यात्रियों को वीजा निर्धारण के निर्णय के लिए प्रतीक्षा समय का इंतजार करना होगा और यात्रा की बुकिंग करते समय यह दिमाग में भी रखना होगा।
