जलवायु से जुड़े मुद्दों की वकालत करने वाले समूह फ्राइडेज फॉर फ्यूचर (एफएफएफ) को केंद्र के तीखे वार का सामना पहली बार नहीं करना पड़ रहा है। हाल ही में गिरफ्तार हुई जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि भी इस समूह से जुड़ी हैं। एफएफएफ पर्यावरण मामलों में दिलचस्पी रखने वाली स्वीडन की किशोर कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शुरू किए गए एक वैश्विक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की भारतीय इकाई है। पिछले साल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से भी एफएफएफ इंडिया को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था जब उसने सरकार के पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) नियमों के मसौदे के खिलाफ बड़े पैमाने पर कई ईमेल भेजी थीं।
एफएफएफ इंडिया और थनबर्ग दोनों ने ही पिछले साल पारित कराए गए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया जिसके बाद दिशा की गिरफ्तारी हुई है। भारत में एफएफएफ से जुड़े वॉलंटियर पर्यावरण, जलवायु, सामाजिक मुद्दों आदि के जुड़े प्रासंगिक विषयों पर अभियान चलाते हैं। एफएफएफ इंडिया की वेबसाइट में लिखा गया है, ‘हम अपने भविष्य और अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि इन पर सीधे तौर पर जलवायु संकट और पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलित होने का असर पड़ता है। हम इसके खिलाफ कदम उठा रहे हैं क्योंकि हम पृथ्वी की सुंदरता, विभिन्न प्रजातियों की विविधता और सभी प्राणियों के जीवन की रक्षा करना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य जलवायु संकट से उबरना और एक ऐसा समाज बनाना है जहां लोग अपने सहजीवी प्राणियों और उसके पर्यावरण के साथ मेल-जोल की भावना के साथ रहें।’
दिशा को दिल्ली पुलिस ने रविवार को थनबर्ग के एक ट्वीट को साझा करने के लिए गिरफ्तार किया था जिसमें कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए एक टूलकिट का जिक्र किया गया था। पुलिस ने दिशा और टूलकिट बनाने वालों पर ‘राजद्रोह’, ‘आपराधिक षड्यंत्र’ और ‘नफरत को बढ़ावा देने’ के आरोप लगाए हैं। टूलकिट किसी भी सोशल मीडिया अभियान के व्यापक प्रसार की योजना की रणनीति है और किसी भी जानकारी का प्रसार करने के लिए यह एक सामान्य कार्यप्रणाली है। पुलिस के अनुसार इस विशेष टूलकिट में कृषि विधेयकों का ब्योरा था और सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सुझाव होने के साथ ही विरोध का प्रचार-प्रसार करने के तरीकों से जुड़ी जानकारियां थीं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही एफएफएफ इंडिया और थनबर्ग ने खुद किसानों के विरोध प्रदर्शन या दिशा की गिरफ्तारी पर कोई अन्य सोशल मीडिया पोस्ट ट्वीट या शेयर नहीं किया है। एफएफएफ इंडिया की तरफ से आखिरी ट्वीट 3 फरवरी को किया गया था जब थनबर्ग की पोस्ट को रीट्वीट किया गया था। एफएफएफ इंडिया की वेबसाइट पर इस मुद्दे पर कोई पोस्ट नहीं है।
हालांकि कई भारतीय और वैश्विक स्तर के सामाजिक कार्यकर्ता दिशा के समर्थन में आ गए हैं। प्रमुख पर्यावरणविद और सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की निदेशक सुनीता नारायण ने ट्विटर पर कहा, ‘हम जानते हैं कि हैशटैग क्लामेटचेंज का होना ही एक खतरा है। दुनिया को युवाओं के जुनून, उनकी प्रतिबद्धता और उनकी जोर से उठाई जाने वाली मजबूत आवाज की सख्त जरूरत है ताकि इस पर और अधिक कार्रवाई हो सके। हैशटैग फ्रीदिशारवि।’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दिशा के समर्थन में आ गए हैं और उन्होंने दिशा की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है। जनहित मामलों के वकील प्रशांत भूषण ने अपने न्यायिक जवाबदेही और न्यायिक सुधारों के अभियान के माध्यम से एक बयान जारी कर दिशा की गिरफ्तारी की निंदा की है। भूषण की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस की इन कार्रवाइयों ने दिशा के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित करने में कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पूरा मखौल बनाया है।
दिशा की गिरफ्तारी के बाद से ही उनके नाम पर एक दर्जन से ज्यादा फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाए गए हैं जिनमें से ज्यादातर का मकसद उन्हें बदनाम करना है। हरियाणा भाजपा के अनिल विज जैसे मंत्री और कई भाजपा समर्थकों ने गिरफ्तारी के पक्ष में ट्वीट कर दिशा को राष्ट्रद्रोही कहा।
एफएफएफ इंडिया और दो अन्य गैर सरकारी संगठनों ने पिछले साल बड़े पैमाने पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को ईमेल भेजी और याचिका दी थी ताकि पर्यावरण प्रभाव आकलन नियम मसौदा 2020 को वापस लेने के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों से जमीनी स्तर की प्रतिक्रिया लेकर नए सिरे से मसौदा तैयार किया जा सके। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इन एनजीओ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और उनकी वेबसाइट को बंद करा दिया गया। मंत्रालय ने उनके ईमेल भी ब्लॉक कर दिए। पुलिस ने इन एनजीओ पर गैरकानूनी गतिविधि, निवारण अधिनियम के तहत भी आरोप लगाया।
हालांकि इन वेबसाइटों पर से रोक कुछ ही दिनों में हटा दी गई लेकिन इन प्रतिबंधों की वजह से पर्यावरण प्रभाव आकलन नियम मसौदे पर सार्वजनिक चर्चा शुरू कर दी। सोशल मीडिया साइटों ने पर्यावरण प्रभाव आकलन के मसौदे को वापस लेने को लेकर मशहूर हस्तियों और सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भी आवाज उठाई। पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे सहित विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे का विरोध किया और इसको खत्म करने की बात कही।
ईआईए किसी प्रस्तावित परियोजना के पर्यावरण प्रभाव के आकलन की प्रक्रिया है। 1994 के बाद से ही किसी भी नई परियोजनाओं को लगाने, उसके विस्तार या आधुनिकीकरण के लिए ईआईए अनिवार्य हो गया है। मार्च 2020 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ईआईए अधिसूचना 2020 के मसौदे को 2006 की अंतिम अधिसूचना की जगह लेनी थी। ईआईए के मसौदे पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को 20 लाख के करीब टिप्पणियां मिली थीं और इसे अभी भी आखिरी नीति जारी करनी है।
