दिल्ली सरकार ने श्रमिकों को राहत देने के लिए भले ही न्यूनतम वेतन बढ़ा दिया हो, लेकिन खासकर दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों की फैक्टरियों में काम करने वाले श्रमिक इस राहत से महरूम रह सकते हैं। दिल्ली के ज्यादातर फैक्टरी मालिक बढ़े हुए महंगाई भत्ते को देने से इनकार कर रहे हैं। सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं कर सकती है। क्योंकि महंगाई भत्ते का मामला अदालत में लंबित है और सितंबर में उद्यमियों को कार्रवाई से राहत भी मिल चुकी है। हालांकि दिल्ली सरकार के उपक्रमों में अनुबंध के तहत काम करने वाले और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को बढ़े हुए न्यूनतम वेतन का लाभ मिल सकता है।
दिल्ली के उद्यमियों के संगठन अपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में मार्च 2017 में न्यूनतम वेतन वृद्धि के खिलाफ दायर याचिका में आवेदन दाखिल कर महंगाई भत्ते की गणना पर आपत्ति जताई थी। चैंबर के उपाध्यक्ष रघुवंश अरोड़ा ने बताया कि अदालत ने इस आवेदन को सितंबर महीने में रिकॉर्ड में लेते हुए सुनवाई के दौरान कहा था कि संबंधित प्राधिकारी अंतिम आदेश पारित नहीं करेंगे। जिससे उद्यमियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने पर उनके खिलाफ सरकार की कार्रवाई से राहत मिल गई है। सरकार गलत तरीके से गणना कर ज्यादा महंगाई भत्ता बढ़ा रही है। चैंबर के सदस्य करीब 60,000 उद्यमी तब तक बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता नहीं देंगे, जब तक अदालत में लंबित मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता है। उद्यमी 3 मार्च 2017 को जारी अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम वेतन देंगे। दिल्ली फैक्टरी ऑनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि अदालत से राहत मिलने के बाद दिल्ली के ज्यादातर उद्यमी बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता नहीं देंगे।
दिल्ली सरकार ने सोमवार को न्यूनतम वेतन बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके तहत दिल्ली में अब अकुशल श्रमिकों का मासिक वेतन 15,908 रुपये से बढ़ाकर 16,064 रुपये, अर्ध कुशल श्रमिकों का मासिक वेतन 17,537 रुपये बढ़ाकर 17,693 रुपये और कुशल श्रमिकों का मासिक न्यूनतम वेतन 19,291 रुपये से बढ़ाकर 19,473 रुपये कर दिया गया है।
इसके अलावा सुपरवाइजर और लिपिक वर्ग के कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी की दर बढ़ाई गई है। इनमें गैर मैट्रिक कर्मचारियों का मासिक वेतन 17,537 से बढ़ाकर 17,693 रुपये, मैट्रिक लेकिन गैर स्नातक कर्मचारियों का मासिक वेतन 19,291 से बढ़ाकर 19,473 रुपये तथा स्नातक और इससे अधिक शैक्षणिक योग्यता वाले कर्मचारियों का मासिक वेतन 20,976 से बढ़ाकर 21,184 रुपये कर दिया गया है।