भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) महामारी की दूसरी लहर में भी अपने लक्ष्य पर अडिग है और चालू वित्त वर्ष में 2.25 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के आवंटन की बात को दोहराया है। एनएचएआई के चेयरमैन सुखबीर सिंह संधू ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वित्त वर्ष 2022 के लिए एनएचएआई ने 4,600 किलोमीटर के राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है।’
साल भर के निर्माण लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोटे तौर पर प्रतिदिन 12-13 किलोमीटर सड़क का निर्माण करना होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए लक्ष्यों में बदलाव किया जाएगा, इसके जवाब में संधू ने कहा, ‘पिछले वर्ष की तरह हम समयबद्घ तरीके से अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्घ हैं जिसमें कोविड और उसके कारण बनने वाली परिस्थिति के प्रभाव को कम करने के लिए सभी सावधानियां बरती जाएंगी।’
एनएचएआई ने 2020-21 में 141 परियोजनाओं का आवंटन किया जो 4,788 किलोमीटर बैठता है। यह तीन वर्ष में सर्वाधिक है।
एनएचएआई ने वित्त वर्ष 2021 में 4,192 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया। इसको लेकर प्राधिकरण का दावा है कि एनएचएआई की ओर से किसी वित्त वर्ष में यह अब तक सर्वाधिक निर्माण है।
वित्त वर्ष 2020-21 में निर्माण की गति 5 फीसदी बढ़ गई जो 2019-20 में 3,979 किलोमीटर रही थी और यह 2018-19 में निर्मित 3,380 किलोमीटर से 24 फीसदी अधिक थी। निर्माण पर यदि लेन किलोमीटर (किलोमीटर को लेनों की संख्या से गुना किया जाता है) के हिसाब से बात करें तो एनएचएआई ने वित्त वर्ष 2021 के दौरान 18,500 किलोमीटर निर्माण किया था जो प्रतिदिन 50 लेन किलोमीटर बैठता है।
यह 2019-20 में निर्मित 13,243 लेन किलोमीटर से 40 फीसदी और 20218-19 में निर्मित 9,684 लेन किलोमीटर की तुलना में 91 फीसदी अधिक है।
लेन किलोमीटर आव्यूह को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल 2018 में अपनाया था जो अंतरराष्ट्रीय चलन के हिसाब से है।
फिलहाल विभिन्न स्थानों पर निर्माण लॉकडाउन और कोविड की दूसरी लहर में कामगारों के बीमार पडऩे दोनों कारण से प्रभावित हुआ है। हालांकि देश भर में स्थिति एक जैसी नहीं है। संक्रमण भीषण स्थिति वाले राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में साइट पर मौजूद श्रमिकों का अधिक नुकसान हुआ है।
जहां तक कच्चे माल की कीमत में वृद्घि का सवाल है तो संधू ने कहा, ‘राजमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एनएचएआई ठेकेदारों/ रियायतग्राहियों को ठेका देता है। इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण तथा हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के तहत आवंटित परियोजनाओं में ठेका समझौते में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के मुताबिक भुगतान करने का प्रावधान होता है। ऐसे में यदि कच्चे माल की कीमत में इजाफा होता है तो सड़क परियोजनाओं की लागत भी बढ़ती है।’
इसका मतलब है कि सरकार ठेकेदार को भुगतान करने के समय पर बढ़ी हुई लागत की भरपाई करेगी।