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मसौदा ई-कॉमर्स नियमों पर पुनर्विचार की जरूरत

Last Updated- December 12, 2022 | 3:06 AM IST

उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि मसौदा ई-कॉमर्स नियमों पर फिर से विचार करने की जरूरत है, जिससे प्रगतिशील नियम बन सकें। विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि इन नियमों का असर ग्राहकोंं, कंपनियों और निवेशकों पर होगा। वहीं विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बहुत ज्यादा नियम से ई-कॉमर्स के कामकाज पर असर पड़ सकता है, जिसने कोरोना की दोनों लहरों में ग्राहकों व विक्रेताओं की मदद की है। टेक पॉलिसी थिंक टैंक द डायलाग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार की पूर्व सचिव और आईएएस अधिकारी अरुणा शर्मा ने कहा, ‘विभिन्न कार्यों में एकरूपता होनी चाहिए, अनन्यथा छोटे ई-कॉमर्स कारोबारियों पर अनुपालन का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।’
भौतिक दुकानों व ई-कॉमर्स का हमेशा सह अस्तित्व रहेगा क्योंकि कुछ ग्राहक सामान खरीदने के पहले देखना चाहते हैं। अब ग्राहक ई-कॉमर्स की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि यह ज्यादा सुविधाजनक है।
जाने माने कंज्यूमर एक्टिविस्ट जहांगीर गई ने कहा कि कुछ नियमन की जरूरत है, लेकिन प्रस्तावित नियम न सिर्फ सेल्स और डिस्काउंट में ग्राहकों के विकल्प सीमित करेंगे बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग के अनुभव पर भी दुष्प्रभाव डालेंगे।
जेड एक्सिस टेक्नोलॉजिज के निदेशक दीपक शेट्टी ने कहा कि पूंजीवाद और समाजवाद के बीच बेहतर संतुलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के कारण छोटे कारोबारियों को कोरोना के काल में बचे रह पाने में मदद मिली है।  मसौदा नियमों में प्रस्ताव किया गया है कि हर ई-कॉमसई इकाई यो उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक कारोबार विभाग में खुद को पंजीकृत कराना होगा।

First Published - July 1, 2021 | 11:50 PM IST

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