होटल उद्योग में उम्मीद का माहौल नजर आने लगा है। दक्षिण एशिया होटल निवेश सम्मेलन (एचआईसीएसए) में एकत्रित तमाम होटल उद्यमियों ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर न आने की उम्मीद बढऩे से होटल उद्योग की रिकवरी होने की आस लगाई हुई है। शून्य राजस्व की अभूतपूर्व स्थिति से बच निकले होटल उद्योग का यह दो-दिवसीय सम्मेलन कारोबार की संभावनाएं एवं चुनौतियों का जायजा लेने का जरिया बना।
सलाहकार फर्म होटलिवेट द्वारा आयोजित यह सम्मेलन पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी के आने के बाद का पहला बड़ा कार्यक्रम है जिसमें लोग भौतिक रूप से मौजूद रहे। इसके जरिये होटल उद्योग यह दर्शाने की कोशिश कर रहा है कि अब आतिथ्य क्षेत्र सामान्य हो रहा है।
धीरे-धीरे हालात सामान्य होने और तेज होते टीकाकरण के बीच पिछले डेढ़ साल में अधिकांश समय तक बंद रहे सार्वजनिक स्थानों के दोबारा खुलने से होटल उद्योग कारोबार के सिलसिले में आने वाले मेहमानों की वापसी के लिए खुद को तैयार कर रहा है। अधिकांश होटलों की बुकिंग कोविड-पूर्व के स्तर से करीब 60-70 फीसदी पर जा पहुंची है लेकिन औसत दैनिक बुकिंग दर अब भी कम है और अगले 6-8 महीनों में ही इसके कोविड-पूर्व पर पहुंच पाने की संभावना है। इंडियन होटल्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी पुनीत चटवाल कहते हैं, ‘सितंबर तिमाही हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छी रही है। मौजमस्ती के लिए आने वाले मेहमान होटल कारोबार को चला रहे हैं और प्रति कमरा राजस्व कोविड-पूर्व से ऊंचा रहा है। अगर मेट्रो शहरों के होटलों को कोविड-पूर्व स्तर का 80-90 फीसदी औसत राजस्व प्रति कमरा भी मिलने लगता है तो हम 100 फीसदी को पार कर जाएंगे। इसकी वजह यह है कि घूमने-फिरने के लिए आने वाले मेहमानों से मिलने वाला प्रति कमरा औसत राजस्व वर्ष 2018-19 के स्तर का 100-250 फीसदी है।’
दूसरे उद्यमी भी इसी तरह की राय रखते हैं। इंटरनैशनल होटल ग्रुप के प्रबंध निदेशक (दक्षिण पश्चिम एशिया) सुदीप जैन कहते हैं, ‘कमरों के भरने के मामले में हम काफी हद तक स्तर हासिल कर चुके हैं लेकिन दरें अब भी महामारी-पूर्व की तुलना में आधी हैं।’
रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में औसत कमरा किराया एक साल पहले की तुलना में 7-10 फीसदी ज्यादा रहेगा लेकिन वह भी कोविड-पूर्व की तुलना में 30-35 फीसदी कम होगा। औसत कमरा किराये की सामान्य स्थिति बुकिंग के हालात सुधरने के बाद ही बहाल हो पाएगी।
होटल बुकिंग की हालत सुधरने के बावजूद अधिकांश होटल कंपनियों की बैलेंस शीट ठीक नहीं है। सम्मेलन में शामिल कई प्रतिनिधियों का यह मानना है कि महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन ने होटलों को अपने कारोबार के बारे में नए सिरे से सोचने और कई तौर-तरीकों की समीक्षा एवं लागत ढांचे को नए सिरे से तय करने के लिए मजबूर किया।
अधिकांश फर्मों ने लागत में कटौती और अपनी सक्षमता बढ़ाने के लिए डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। मसलन, लेमन ट्री होटल्स के प्रबंध निदेशक पतु केसवानी ने बताया कि फ्रंट एवं बैक-एंड गतिविधियों के डिजिटलीकरण के लिए कंपनी ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की सेवाएं ली हैं। होटलों ने कर्मचारियों में भी कटौती की है। अगर लेमन ट्री होटल का ही उदाहरण लें तो उसके कर्मचारियों की संख्या घटकर 5,500 रह गई है जो पहले 8,500 हुआ करती थी। यात्रा पर लगी बंदिशों और बंद होटलों से ऑनलाइन ट्रैवल एजेंटों पर भी बुरा असर पड़ा है। मेकमाईट्रिप के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी दीप कालरा कहते हैं, ‘जून तिमाही हमारे लिए बहुत निर्दयी थी। सबसे मुश्किल काम श्रम लागत को कम करना था। हमें 10 फीसदी कटौती करनी पड़ी।’
