facebookmetapixel
अगस्त के दौरान भारत का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश लगभग 50 प्रतिशत घटाभारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के कारण बढ़ा बैंकों में विदेशी निवेशसरकारी बैंकों में 26% जनधन खाते निष्क्रिय, सक्रिय खातों की संख्या और कम होने का अनुमानअमेरिका से व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा भारतीय अधिकारियों का दलभारतीय कंपनियों ने H1FY26 में बॉन्ड से जुटाए ₹5.47 लाख करोड़, दूसरी तिमाही में यील्ड बढ़ने से आई सुस्तीकंपनियों के बीच बिजली नेटवर्क साझा करना आसान नहीं, डिस्कॉम घाटा और पीपीए लागत बड़ी चुनौतीडिप्टी गवर्नर ने चेताया – आंकड़ों पर निर्भरता से जोखिम की आशंकाब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला, लेकिन दर में और कटौती की गुंजाइशअब तक के उच्चतम स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर, और बढ़ सकता है पृथ्वी का तापमानअदाणी का एआई आधारित विस्तार के लिए ‘दो-स्तरीय संगठन’ पर जोर

Services PMI: अप्रैल में सर्विस सेक्टर की रफ्तार बढ़ी, PMI 58.7 पर पहुंचा; मैन्युफैक्चरिंग और IIP ग्रोथ में भी सुधार

कंपोजिट पीएमआई, जो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर्स को मिलाकर तैयार होती है, अप्रैल में 59.7 रही, जबकि मार्च में यह 59.5 थी।

Last Updated- May 06, 2025 | 1:21 PM IST
Services PMI
Representative Image

Services PMI: अप्रैल 2025 में भारत की सर्विस सेक्टर ग्रोथ में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी सेवा पीएमआई (Purchasing Managers’ Index) अप्रैल में बढ़कर 58.7 हो गई, जो मार्च में 58.5 थी। इसका मतलब है कि देश के सेवा क्षेत्र में विस्तार की रफ्तार थोड़ी तेज हुई है।

वहीं, कंपोजिट पीएमआई, जो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर्स को मिलाकर तैयार होती है, अप्रैल में 59.7 रही, जबकि मार्च में यह 59.5 थी।

बता दें कि पीएमआई का आंकड़ा अगर 50 से ऊपर होता है तो इसका मतलब होता है कि संबंधित क्षेत्र में विस्तार हो रहा है। 50 से नीचे होने पर संकुचन का संकेत मिलता है, और 50 का स्तर स्थिरता को दर्शाता है।

HSBC की चीफ इंडिया इकॉनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा, “भारत की सर्विस एक्टिविटी में मार्च की तुलना में ज्यादा तेजी देखी गई है। खास बात यह रही कि नए निर्यात ऑर्डर अप्रैल में जुलाई 2024 के बाद सबसे तेज रफ्तार से बढ़े हैं। लागत में राहत मिलने और कीमतें बढ़ाने की वजह से कंपनियों के मार्जिन बेहतर हुए हैं। हालांकि, भविष्य को लेकर कंपनियों का आत्मविश्वास थोड़ा कमजोर हुआ है।”

भारतीय सेवा प्रदाताओं की गतिविधियों में अप्रैल 2025 के दौरान तेज़ी देखी गई। नए कारोबार की आवक में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जो पिछले आठ महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर रही। कई कंपनियों ने अनुकूल बाजार परिस्थितियों और सफल मार्केटिंग अभियानों को इस वृद्धि का प्रमुख कारण बताया है।

यह भी पढ़ें: वैश्विक बाजारों में टैरिफ का असर: यूरोप, चीन और भारत पर कैसे ध्यान केंद्रित कर रहे हैं निवेशक?

कुछ कारोबारियों ने यह भी कहा कि उनके कामकाज की दक्षता में सुधार हुआ है, जिससे वे पहले से अधिक काम संभाल पा रहे हैं। पिछली सर्वे अवधि की तरह ही इस बार भी फाइनेंस और इंश्योरेंस उप-क्षेत्र ने उत्पादन और नए ऑर्डर—दोनों के लिहाज से सबसे तेज़ विकास दर दर्ज की।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय सेवा कंपनियों को अच्छा प्रतिसाद मिला है। खासकर एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका जैसे क्षेत्रों से निर्यात ऑर्डर में तेज़ बढ़ोतरी हुई है। जुलाई 2024 के बाद से यह पहली बार है जब नए निर्यात ऑर्डर इतनी तेज़ी से बढ़े हैं, जो भारतीय सेवा क्षेत्र की वैश्विक मांग को दर्शाता है।

PMI पहुंचा 10 महीने के उच्चतम स्तर पर

HSBC India द्वारा जारी मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में बढ़कर 58.2 पर पहुंच गया, जो पिछले 10 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है। मार्च में यह आंकड़ा 58.1 रहा था, जबकि फरवरी में यह गिरकर 56.3 पर आ गया था, जो 14 महीने का न्यूनतम स्तर था।

PMI डेटा से पता चलता है कि अप्रैल में उत्पादन, नए ऑर्डर और इनपुट की खरीदारी में तेजी आई। इसके साथ ही रोजगार के मौके बढ़े और कंपनियों ने स्टॉक्स की खरीदारी भी तेज की। यह सुधार इस बात का संकेत है कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में स्थिरता और मांग बनी हुई है।

PMI क्या है?

PMI यानी परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स, किसी सेक्टर की आर्थिक सेहत का एक अहम सूचक होता है। यह इंडेक्स बिक्री, रोजगार, इनवेंटरी, कीमतों और ऑर्डर जैसी मुख्य गतिविधियों को ट्रैक करता है। इससे निवेशकों, अर्थशास्त्रियों और नीति निर्धारकों को मौजूदा कारोबारी स्थिति की सही तस्वीर मिलती है।

मार्च में IIP ग्रोथ बढ़कर 3% हुई, RBI ने रीपो रेट घटाकर 6% किया

मार्च 2025 में देश के औद्योगिक उत्पादन में हल्की सुधार देखने को मिली है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (IIP) की ग्रोथ इस महीने 3% रही, जो फरवरी 2025 में 2.72% पर थी। हालांकि, पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के दौरान औद्योगिक उत्पादन की औसत वृद्धि दर सिर्फ 4% रही, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है।

वहीं, महंगाई और आर्थिक विकास को संतुलित रखने के मकसद से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2025 में रीपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती कर इसे 6% कर दिया है। फरवरी 2025 में भी RBI ने पॉलिसी रेट में 0.25% की कटौती की थी, जब यह 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था।

रीपो रेट में लगातार दूसरी कटौती के साथ ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपनी नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘एकोमोडेटिव’ कर दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में और भी दरों में कटौती संभव है।

First Published - May 6, 2025 | 12:15 PM IST

संबंधित पोस्ट