सरकार ने एयर नेविगेशन सेवा (एएनएस) शुल्क अथवा रडार एवं हवाई यातायात नियंत्रण सेवाओं के लिए शुल्क में 3.5 से 4 फीसदी की वृद्धि की है जिससे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को राहत मिली है। विमानन कंपनियों को बढ़ी हुई लागत का वहन करना होगा क्योंकि फिलहाल किराये में बढ़ोतरी के लिए कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है।
शुल्क में वृद्धि के लिए एएआई की काफी समय से लंबित मांग को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशक अरुण कुमार ने बुधवार को इस निर्णय को अधिसूचित किया। एयर नेविगेशन शुल्क की वर्तमान दर को वर्ष 2000 के आरंभ में मंजूरी दी गई थी। हालांकि 2017 में भी इसमें बढ़ोतरी करने की कोशिश की गई थी लेकिन विमानन कंपनियों के भारी विरोध को देखते हुए उसे वापस ले लिया गया था।
एयर नेविगेशन सेवा शुल्क ने वित्त वर्ष 2020 के दौरान करीब 3,500 करोड़ रुपये का योगदान किया जो एएआई के कुल राजस्व का करीब एक चौथाई है। हालांकि भारत में विमानन कंपनियों के कुल परिचालन खर्च में इसकी हिस्सेदारी 3 से 4 फीसदी है।
विमानन उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एएनएस दर में वृद्धि का बोझ विमानन कंपनियों को उठाना पड़ेगा क्योंकि मौजूदा परिदृश्य में यात्रा के लिए मांग काफी कमजोर है और ऐसे में किराये में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सबसे कम कीमत के साथ टिकटों की बिक्री की जा रही है और किराये में वृद्धि के लिए फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं है।
इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत के एयर नेविगेशन सेवा (एएनएस) शुल्क में अचानक की गई वृद्धि निराशाजनक है। ऐसे समय में जब विमानन उद्योग अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट से जूझ रहा है, महज कुछ दिनों का नोटिस देकर यह निर्णय लिया गया है।