facebookmetapixel
KSH International IPO Open: ₹710 करोड़ के इश्यू में पैसा लगाना सही? जानें ब्रोकरेज की सलाहदिसंबर में भारत का फ्लैश PMI घटकर 58.9 पर, फरवरी के बाद सबसे धीमी ग्रोथरुपया पहली बार 91 के पार, महज 5 सेशन में 1% टूटा; डॉलर के मुकाबले लगातार क्यों टूट रही भारतीय करेंसीइंडसइंड बैंक में 9.5% तक हिस्सेदारी खरीदेगा HDFC Bank, रिजर्व बैंक से मिली मंजूरीICICI Pru AMC IPO: अप्लाई करने का आखिरी मौका, अब तक कितना हुआ सब्सक्राइब; GMP क्या दे रहा इशारा ?क्या ₹3 लाख प्रति किलो पहुंचेगी चांदी? एक्सपर्ट्स ने बताया- निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिएGold silver price today: सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट, MCX पर देखें आज का भावडॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमार

मॉनसून में देर और घर से काम ने बढ़ाई बिजली की मांग

Last Updated- December 12, 2022 | 2:16 AM IST

मॉनसून में देर और महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम ने घरों और खेती में बिजली की मांग बढ़ा दी है। देश में बिजली की मांग में सबसे ज्यादा वृद्घि जून में हुई, जब पिछले साल जून के मुकाबले मांग 5.52 फीसदी बढ़ गई। चालू वित्त वर्ष में यह सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। मगर बहुत से राज्यों में लॉकडाउन उठने और व्यावसायिक गतिविधियां शुरू होने के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र की मोटी मांग में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
उपभोक्ताओं की प्रति व्यक्ति बिजली मांग बताने वाली दैनिक मांग सभी क्षेत्रों में 2019 के स्तर पर पहुंच गई है। आईआईटी कानपुर स्थित एनर्जी एनालिटिक्स लैब द्वारा संग्रहीत आंकड़ों के मुताबिक बिजली की राष्ट्रीय औसत दैनिक मांग (उत्तर-पूर्व को छोड़कर) 1 अप्रैल को 98.9 करोड़ यूनिट थी, जो जून के अंत में बढ़कर 107.8 करोड़ यूनिट पर पहुंच गई। राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की देश भर में मांग जून 2021 में पिछले साल के इसी महीने से 8.6 फीसदी बढ़ी। मॉनसून की सुस्ती के कारण कृषि में बिजली की मांग बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी वजह से पिछले महीने बिजली की मांग में वृद्धि हुई है। 8 जुलाई तक देश के 694 जिलों में से करीब 41 फीसदी में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से कम था। देश में 1 जून से 8 जुलाई तक कुल मॉनसून सामान्य से पांच फीसदी कम रहा। जुलाई के पहले सप्ताह तक देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश शुरू नहीं हुई थी।
सरकारें कोविड की दूसरी लहर सुस्त पडऩे के कारण दो महीनों बाद लॉकडाउन में ढील दे रही हैं, जिससे बहुत से राज्यों में कारोबारी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इक्रा रेटिंग्स ने हाल के एक नोट में कहा, ‘इस साल मई के दूसरे पखवाड़े से कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी से राज्य सरकारों ने लॉकडाउन बंदिशों में ढील दी हैं, जिससे जून 2021 की तरह बिजली की मांग में वृद्धि की संभावनाएं सुधरी हैं।’ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर मेंं एसोसिएट प्रोफेसर और समन्वयक (सेंटर फॉर एनर्जी रेग्युलेशन) अनूप सिंह ने कहा, ‘मांग में सुधार की वजहों मेंं से एक आर्थिक गतिविधियां हैं। दूसरी वजह टाली गई खपत है, जो अब सामने आ रही है। उदाहरण के लिए इस्पात का उत्पादन अब शुरू हो गया है।’
हालांकि उन्होंने कहा कि हाल की बढ़ोतरी में कृषि एवं आवासीय खंड का अहम योगदान है। सिंह ने कहा, ‘इसकी पहली वजह मौसमी स्थितियां और दूसरी घरेलू क्षेत्र से मांग में बढ़ोतरी है। घर से काम के कारण प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत लोगों के कार्यालयों में काम करने के समय की तुलना में बढ़ी है।’
दिल्ली में मई के अंत में दुकानें खोलने और सार्वजनिक परिवहन शुरू करने की मंजूरी दी गई थी, जिसका राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की मांग पर सकारात्मक असर पड़ा है। इसके अलावा रिकॉर्ड गर्मी के कारण घरों में ठंडक पैदा करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ गया। जून के आखिरी सप्ताह में बिजली की अधिकतम रिकॉर्ड मांग के बाद 1 जुलाई को दिल्ली में मांग 7 गीगावाट की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई। बहुत से उत्तरी राज्यों में भी यही स्थिति रही, जहां मॉनसून आने में देरी हुई। पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि एवं आवासीय मांग से बिजली की मांग में इजाफा हुआ। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक राज्यों में वाणिज्यिक खंड की बड़ी मांग अब भी नहीं आ रही है क्योंकि आर्थिक गतिविधियों पर अभी कुछ प्रतिबंध बने हुए हैं। महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हर जिले में लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों के अलग-अलग नियम हैं, इसलिए व्यावसायिक केंद्र कम क्षमता पर काम कर रहे हैं।’

First Published - July 30, 2021 | 11:23 PM IST

संबंधित पोस्ट