देश में कोविड-19 के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के कारण गैर जीवन (साधारण) बीमा कंपनियों के पास भी कोविड-19 से जुड़े मामलों के निस्तारण के लिए दावों की बाढ़ आ गई है। हालांकि कोविड-19 के कुल मामलों की तुलना में ये दावे अभी भी कम हैं। इससे यही पता चलता है कि देश में स्वास्थ्य बीमा की पहुंच कितनी कम है। गत 8 सितंबर तक साधारण बीमा कंपनियों के पास 3,013.43 करोड़ रुपये मूल्य के 1,92,863 दावे निस्तारण के लिए थे। कुल दावों में से 121,739 दावे बीमाकर्ताओं द्वारा निपटाए जा चुके हैं।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक इन दावों के लिए 1,165.81 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। हालांकि ये आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। 31 जुलाई के अंत तक बीमाकर्ताओं को 81,000 दावे मिले थे। यानी एक महीने में दावों की तादाद दोगुनी से अधिक हो गई है। कुल दावों और निस्तारित दावों में महाराष्ट्र सबसे आगे है। उसके बाद तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और दिल्ली हैं। दावों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा है जिससे बीमा कंपनियों को आगे चलकर दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कंपनियों ने योजनाओं के मूल्य की समीक्षा करते वक्त कोविड-19 के जोखिम को ध्यान में नहीं रखा था।
बहरहाल इस संकट से निकली एक सकारात्मक बात यह है कि उपभोक्ताओं में मौजूदा महामारी के बाद उपजी अनिश्चितता के चलते स्वास्थ्य कवर लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। कोविड को लेकर खास योजनाएं पेश किए जाने के बाद करीब 15 लाख लोगों ने बीमा कराया है। नियामक ने गत माह दो कोविड आधारित योजनाएं-कोरोना कवच और कोरोना रक्षक जारी कीं।
