अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगा दिया। उन्होंने दूसरे कई देशों पर इससे भी अधिक शुल्क लगाया है। इन चौतरफा शुल्कों से वैश्विक रुझानों में बदलाव आने की आशंका है और आईटी से लेकर ऑटोमोबाइल तक कई घरेलू क्षेत्रों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस बारे में प्रमुख ब्रोकरों की राय:
नोमूरा
हमारा मानना है कि यह एशियाई शेयरों के लिए स्पष्ट रूप से नकारात्मक घटनाक्रम है और हम इसे बाजार को ‘क्लियरिंग इवेंट’ के कदम के तौर पर नहीं देखते हैं, जिसकी कुछ बाजार कारोबारी उम्मीद कर रहे थे। अगले कुछ सप्ताहों और महीनों में अमेरिकी मुद्रास्फीति और विकास परिदृश्य पर टैरिफ का असर महसूस किया जाएगा। हमारा मानना है कि निवेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सेहत का आकलन करने के लिए पेरोल/रोजगार, मुद्रास्फीति और उपभोक्ता खर्च/ रिटेल बिक्री जैसे प्रमुख अमेरिकी आंकड़े को बारीकी से देखेंगे। आंकड़ों में किसी भी तरह की कमजोरी से अमेरिका में मंदी/मुद्रास्फीति को लेकर बाजार की चिंताएं बढ़ जाएंगी जिससे एशियाई शेयरों सहित आमतौर पर जोखिम धारणा पर और ज्यादा असर पड़ेगा।
एचएसबीसी
भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के शुल्क से इस वर्ष वृद्धि दर में 50 आधार अंक तक की कमी हो सकती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि फार्मास्युटिकल्स, (जो अमेरिका को भारत का प्रमुख निर्यात है) को शुल्कों से काफी हद तक छूट दी गई, नहीं तो इसका प्रभाव ज्यादा हो सकता था। हम यह देख रहे हैं कि भारत इस समय अमेरिका के साथ एफटीए के पहले चरण की बातचीत करने की प्रक्रिया में है और वह (रूस की कीमत पर) अधिक अमेरिकी तेल और रक्षा सामान खरीदने, साथ ही कृषि उत्पादों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ कम करने जैसी रियायतें दे सकता है।
मैक्वेरी
हमारा प्राथमिक अनुमान यह है कि अगर व्हाइट हाउस के सुझाए अनुसार 26 प्रतिशत टैरिफ सभी भारतीय उत्पादों पर लागू किया गया होता तो यह काफी हद तक नकारात्मक हो सकता था। यह हमारे अनुमान से काफी खराब है। हमारे वैश्विक रणनीतिकार के अनुसार ऐसा लगता है कि बातचीत के बाद भी अमेरिका के प्रभावी टैरिफ में लगभग 20-25 फीसदी की वृद्धि होने की आशंका है (2023 में लगभग 3 प्रतिशत की तुलना में)। यह हमारे रणनीतिकार द्वारा 2025 के पूर्वावलोकन (लगभग 8 प्रतिशत) की अपेक्षा कहीं अधिक खराब है। भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत की प्रक्रिया में भी है। इसलिए हमें बारीकी से देखना होगा कि टैरिफ का अंतिम समाधान कैसे निकलता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल
अनुमान से ज्यादा जवाबी शुल्कों और वैश्विक वृद्धि व महंगाई तथा कंपनियों की आय के संबंध में बढ़ती अनिश्चितता से निवेश माहौल ज्यादा सतर्क हो सकता है। हम लंबे समय से शेयरों की ऊंची कीमत और कम मल्टीपल के लिए तर्क देते रहे हैं। इसमें हम वैश्विक भू-राजनीतिक और व्यापक आर्थिक अनिश्चितता में वृद्धि को फैक्टर करते हैं और क्षेत्र-विशिष्ट और कंपनी-विशिष्ट व्यवधान जोखिम को देखते हैं। भारतीय बाजार तथा अधिकांश क्षेत्रों और शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन से पता चलता है कि बाजार ने संभावित जोखिमों को काफी हद तक नजरअंदाज किया है।
कुछ विश्लेषक मान रहे सकारात्मक-
जेफरीज
जवाबी शुल्क की घोषणाएं राहत के तौर पर आई हैं क्योंकि इसका आईटी सेवा, फार्मा और ऑटो जैसे बड़े निर्यातक क्षेत्रों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ नकारात्मक की तुलना में जायज दिखते हैं। मुख्य चिंताएं कमजोर अमेरिकी आर्थिक परिदृश्य को लेकर है, जो आईटी सेवाओं और अन्य निर्यातकों के लिए नकारात्मक है। हम गिरावट पर खरीदारी करना चाहेंगे, खासकर फार्मा पर।
मॉर्गन स्टैनली
हम वित्त वर्ष 2026 के लिए 6.5 प्रतिशत के अपने वृद्धि अनुमान में 30-60 आधार अंक की गिरावट का जोखिम देख रहे हैं। मौद्रिक नीति वृद्धि के लिए सहायक बनी रहेगी। हमें अप्रैल नीति में रुख में बदलाव और 25 आधार अंक की दर कटौती की उम्मीद है। वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम के मद्देनजर हम दरों में और अधिक नरमी के चक्र का जोखिम देख रहे हैं, जिसमें 50-75 आधार अंक की अतिरिक्त दर कटौती (बनाम 75 आधार अंक की दर कटौती) शामिल है क्योंकि आरबीआई को घरेलू मांग को समर्थन देने की आवश्यकता होगी।