अमेेरिका ने कहा है कि तकनीकी दिग्गजों पर भारत का 2 प्रतिशत कर एमेजॉन, गूगल, फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों पर बोझ है, जो अतार्किक, विभेदकारी और अंतरराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के खिलाफ है। यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव (यूएसटीआर) कार्यालय ने पाया कि भारत का डिजिटल सर्विस टैक्स (डीएसटी) या इक्वलाइजेशन लेवी, व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत ‘कारर्वाई योग्य’ है।
पिछले साल जून में धारा 301 के तहत जांत की शुरुआत पर आधारित रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत का इक्वलाइजेशन लेवी अंतरराष्ट्रीय कर कानूनों के प्रतिकूल है क्योंकि यह कर निश्चितता मुहैया कराने में असफल, लक्षित राजस्व भारत में भौतिक उपस्थिति से जुड़ा न होने और आमदनी की बजाय राजस्व पर लागू होने वाला है।
विभेदकारी हिस्से का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन कंपनियों पर भारत का इक्वलाइजेशन लेवी लागू होगा, उनमें 72 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियां हैं।
यूएसटीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘यूएसटीआर की जांच इस बात का समर्थन करता है कि भारत के जीएसटी के खिलाफ धारा 301 के तहत कार्रवाई हो सकती है।’
यूएस ट्रेड एक्ट की धारा 301 के तहत यूएसटीआर को कारोबारी साझेदार की नीतिगत कार्रवाई की जांच करने का अधिकार है, जो अनुचित या विभेदकारी हो और अमेरिका की कंपनियों पर नकारात्मक असर डालते हों और इसे लेकर शुल्क और गैर शुल्क आधारित कार्रवाई की जा सकती है। उदाहरण के लिए पिछले साल अमेरिका ने इंटरनेट दिग्गजों पर 3 प्रतिशत डिजिटल सर्विस टैक्स लगाए जाने की प्रतिक्रिया में फ्रांस के हैंडबैग, कॉस्मेटिक्स और साबुन सहित 1.3 अरब डॉलर के सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारी जांच समर्थन करता है कि डिजिटल सेवा कर (डीएसटी) का बोझ या अमेरिकी कारोबार सीमित करने से अमेरिकी कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जो भारत में काम करती हैं। डीए,
ी से अमेरिकी कंपनियों पर नए कर का भार पड़ता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को महंगे अनुपालन कदमों के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।’
इसमें आगे कहा गया है कि भारत का डीएसटी अंतरराष्ट्रीय कर सिद्धांतों से तालमेल नहीं खाता है और यह अतार्किक है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यूएसटीआर के विश्लेषण के मुताबिक 119 कंपनियां डीएसटी के दायरे में आ सकती हैं, जिनमें से 86 (77 प्रतिशत) अमेरिकी कंपनियां हैं। उसके बाद चीन और ब्रिटेन की 7-7 कंपनियां और फ्रांस की 6 व जापान की 5 कंपनियां हैं। इसके अलावा भारत के डीएसटी कर की संभावनाएं सेवा क्षेत्र में व्यापक हैं और यह डिजिटल सेवाओं से इतर लागू हो सकता है।
अमेरिकी कंपनियों ने जहां इस कर का विरोध किया है, भारत ने इसका बचाव करते हुए इसे गैर विभेदकारी बताते हुए कहा है कि यह विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय कराधान समझौतों के मुताबिक है।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि इस बात की संभावना नहीं लगती कि यूएसटीआर की जांच रिपोर्ट से भारत इक्वलाइजेशन शुल्क के फैसले पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकारें इस मसले को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती हैं। अमेरिका की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए संभावना यह है कि वाशिंगटन संभवत: भारत के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाएगा, जैसा कि फ्रांस के मामले में डीएसटी को लेकर चल रहे खींचतान के दौरान किया गया था।’