अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका के उत्पादों पर ज्यादा शुल्क वसूलता है। उन्होंने बदले में भारतीय उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाने की चेतावनी दी है जिससे देश के नीति निर्माताओं पर दबाव बढ़ गया है। ट्रंप ने इससे पहले मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने का ऐलान किया था। उस समय उन्होंने भारत का जिक्र नहीं किया था मगर इस बार की टिप्पणी में भारत पर निशाना साधा है। ट्रंप द्वारा चुने गए वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भी कहा कि ‘पारस्परिकता’ ऐसी चीज है जो ट्रंप प्रशासन में महत्त्वपूर्ण विषय होने जा रही है।
ट्रंप ने मार-ए-लागो में कहा, ‘आम तौर पर देखा जाता है कि अगर वे हम पर शुल्क लगाते हैं तो हम भी उन पर उतना ही शुल्क लगाते हैं। लगभग सभी मामलों में वे (भारत) हम पर शुल्क लगा रहे हैं जबकि हम उन पर शुल्क नहीं लगा रहे हैं। यदि भारत हमसे 100 फीसदी शुल्क लेता है तो क्या हमें उनसे शुल्क नहीं लेना चाहिए?’
ट्रंप ने कहा, ‘आप जानते हैं कि वे साइकल भेजते हैं और हम भी उन्हें अपने यहां बनी साइकलें भेजते हैं। वे हमसे 100 और 200 फीसदी शुल्क लेते हैं। भारत बहुत ज्यादा शुल्क लेता है। ब्राजील भी बहुत ज्यादा शुल्क वसूलता है। अगर वे हमसे शुल्क लेना चाहते हैं तो ठीक है मगर हम उनसे इसी तरह ज्यादा शुल्क वसूलेंगे।’
वित्त मंत्रालय सहित शीर्ष सरकारी विभागों ने पहले ही माथापच्ची शुरू कर दी और 20 जनवरी को ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति की कमान संभालने के बाद की संभावित चुनौतियों का अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि परस्पर शुल्क की काफी ज्यादा संभावना है और भारत को इससे निपटने के लिए रणनीति तैयार करनी चाहिए।
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के प्रोफेसर विश्वजित धर ने कहा, ‘ट्रंप इसे लेकर मुखर रहे हैं कि भारत और चीन जैसे देश अमेरिका से ज्यादा आयात नहीं करते हैं। कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने का दबाव हो सकता है जबकि यह भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र है। भारत को सुसंगत रणनीति पर काम करने की जरूरत है ताकि वह मोलभाव करने में सक्षम हो सके।’
बीते समय में भी ट्रंप ने हार्ली डेविडसन बाइक पर ऊंचे शुल्क को लेकर भारत की आलोचना की थी।
निर्याताकों के संगठन फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कि ट्रंप के बयान से संकेत मिलता है कि वह भारत से कुछ उत्पादों पर सीमा शुल्क घटाए जाने की संभावना तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें रणनीति के तहत ऐसे उत्पादों को देखना होगा जिसमें अमेरिका के व्यापक हित हैं और इसकी संभावना तलाशनी चाहिए कि हम उन उत्पादों पर शुल्क को कुछ कम कर सकें।’
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024 में 120 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है और इसमें 35.3 अरब डॉलर का अधिशेष है। पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने व्यापार अधिशेष को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि भारत अमेरिका से ज्यादा आयात नहीं कर रहा है।