प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मादबौली और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों साथ बैठक के दौरान व्यापार और निवेश, अक्षय ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापक सहयोग करने पर चर्चा की। मोदी मिस्र की अपनी पहली यात्रा समाप्त करने के बाद रविवार को भारत के लिए रवाना भी हो गए।
अमेरिका से लौटते समय प्रधानमंत्री मोदी 24 जून से दो दिन के लिए मिस्र के दौरे पर गए थे। रविवार को उन्होंने मिस्र के उच्चस्तरीय मंत्रियों के एक चुनिंदा समूह से मुलाकात की जिसे मिस्र ने भारत के साथ संबंधों में तेजी लाने के लिए ‘भारत इकाई’ नाम दिया है। मिस्र के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली भारतीय इकाई में कई मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने ‘भारत इकाई’ की स्थापना की सराहना की और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के इस कदम का स्वागत किया और आपसी हित में मिस्र के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने की भारत की तत्परता को साझा किया।’ इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन, डिजिटल भुगतान मंच, फार्मा और लोगों के बीच संबंध बनाने पर भी बातचीत हुई।
राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर मोदी की मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा, 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। मोदी ने राष्ट्रपति अल-सीसी के साथ बातचीत की और व्यापार एवं निवेश, ऊर्जा संबंधों और लोगों से लोगों के बीच संबंधों में सुधार पर ध्यान देने के साथ दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। यात्रा के दौरान, मिस्र के राष्ट्रपति ने मोदी को मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान, ‘ऑर्डर ऑफ नाइल’ से भी सम्मानित किया।
मिस्र के राष्ट्रपति भारत की अपनी दूसरी राजकीय यात्रा में दिल्ली में 2023 के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि भी थे। मिस्र लौटने के बाद, उन्होंने ‘भारत इकाई’ का गठन किया जो दरअसल भारत के साथ व्यापार और राजनीतिक जुड़ाव को तेजी से बढ़ाने पर केंद्रित है। इसके बाद के महीनों में, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दौरे के साथ ही मिस्र के साथ मंत्रिस्तरीय बैठकों में तेजी आई।
मिस्र को भी भारत में जी-20 की बैठकों के दौरान विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती ने भी मई में भारत का दौरा किया था। मिस्र के स्वेज नहर प्राधिकरण के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह भारत का दौरा किया था।
मिस्र के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 6.06 अरब डॉलर रहा जो इससे पिछले वर्ष के 7.26 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से कम है। भारत ने मिस्र के साथ व्यापार अधिशेष बनाए रखा है, जिसमें 4.1 अरब डॉलर का निर्यात, वित्त वर्ष 2023 के आयात (1.95 अरब डॉलर) के दोगुने से अधिक है।
भारत से मिस्र को निर्यात व्यापक आधार पर किया जाता है और लेकिन डीजल के बाद कार्बनिक रसायन ( 31.1 करोड़ डॉलर), भारी मशीनरी ( 25.6 करोड़ डॉलर), लोहा और इस्पात ( 22.3 करोड़ डॉलर), और कपास (20.1 करोड़ डॉलर) का स्थान है। रिफाइंड पेट्रोलियम देश से सबसे बड़ी आयातित वस्तु है।
भारत-मिस्र द्विपक्षीय व्यापार समझौता मार्च 1978 से ही चल रहा है लेकिन व्यापार की गति धीमी रही है। अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि प्रधानमंत्रियों की भारतीय इकाई के साथ हुई बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि दोनों देश, तेल क्षेत्र से परे व्यापार के विस्तार पर कैसे काम कर सकते हैं। भारत 2022 में, मिस्र का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
काहिरा में भारतीय दूतावास के अनुसार, लगभग 50 भारतीय कंपनियों ने परिधान, कृषि, रसायन, ऊर्जा, वाहन और खुदरा क्षेत्र में 3.2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, वे मिस्र के लगभग 35,000 लोगों को रोजगार देते हैं।
मिस्र में प्रमुख भारतीय निवेशों में टीसीआई सनमार, एलेक्जेंड्रिया कार्बन ब्लैक, किर्लोस्कर, डाबर इंडिया, फ्लेक्स पी फिल्म्स, एससीआईबी पेंट्स, गोदरेज, महिंद्रा और मोंगिनिस शामिल हैं। भारतीय कंपनियां कई क्षेत्रों में मौजूद हैं। वर्ष 2022 तक मिस्र में 4401 भारतीय रहते थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को काहिरा में स्थित मिस्र की 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का दौरा किया। भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से इस मस्जिद का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके अलावा मोदी ने रविवार को मिस्र में हेलियोपोलिस राष्ट्रमंडल युद्ध स्मारक का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र एवं फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
मोदी ने स्मारक पर शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने उन करीब 4,000 वीर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और अदन में अपने प्राण न्योछावर किये थे।’
हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर किये थे।