विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि पिछली गर्मियों में सीमा पर बनी संघर्ष की स्थिति की वजह से चीन पर भरोसा उठता नजर आया जिसकी वजह से 45 साल में पहली बार झड़प में मौतें हुईं। जयशंकर ने रॉयटर्स नेक्स्ट कॉन्फ्रेंस में कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका के साथ संबंध बेहतर हो रहे हैं और वहां के नए राष्ट्रपति के कार्यकाल में भी इसमें विस्तार की संभावना है।
जयशंकर ने कहा, ’45 साल के बाद वास्तव में चीन ने सीमा पर रक्तपात जैसी स्थिति पैदा की और इससे जनमत और राजनीतिक रूप से बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। चीन और उसके रिश्ते को लेकर भारत के भरोसे और आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ा है। यह पूरी तरह से गड़बड़ हो गया है।’
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ संबंध तेजी से बेहतर हो रहे हैं और नए राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में भी संबंधों के बेहतर बने रहने को लेकर आश्वस्ति है। उन्होंने कहा, ‘जब मैं उन चुनौतियों को देखता हूं जिनका हम सामना करते हैं तब अमेरिका अपने भागीदारों के लिए ज्यादा खुलापन लिए हुई दिखता है और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते किस मुकाम पर पहुंचेंगे।’
भारत ने अमेरिका के साथ घनिष्ठ रक्षा संबंध बनाए हैं और पिछले 15 वर्षों में 20 अरब डॉलर से अधिक रकम के हथियार खरीदे गए हैं क्योंकि यह रक्षा उपकरणों के पारंपरिक आपूर्तिकर्ता रूस के मुकाबले काफी विविधता लाता है। जयशंकर ने कहा, ‘संरचनात्मक रूप से अमेरिका के साथ संबंध बहुत ही मजबूत है क्योंकि इसमें राजनीतिक मेलमिलाप के साथ सुरक्षा और रक्षा का तालमेल भी बढ़ रहा है।’ लेकिन उन्होंने व्यापार के मोर्चे पर कहा कि दोनों देश विवरण में फंस गए। वार्ताकार कई महीनों से एक लघु व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं जिसमें प्रगति नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि भारत बाइडन प्रशासन की ओर से किसी तरह की मुक्त व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने की किसी पेशकश या निमंत्रण पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा।
