facebookmetapixel
एनएफआरए में कार्य विभाजन पर विचार, सरकार तैयार कर रही नई रूपरेखाकोयले से गैस भी बनाएगी NTPCलालकिले के धमाके का असर! विदेशियों की बुकिंग पर दबाव, लेकिन उद्योग बोले– असर होगा सिर्फ कुछ दिनों काअल्ट्राटेक से अदाणी तक: रद्द खदानों पर कंपनियों को राहत, सरकार ने शुरू की अंतिम मुआवजा प्रक्रियाबिहार चुनाव में वोटों की बाढ़! SIR विवाद के बीच रिकॉर्ड 66.9% मतदान से सभी चौंकेअक्टूबर में निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, जीएसटी दरों में कमी असरहिल स्टेशनों में प्रॉपर्टी की डिमांड बूम पर! देहरादून से मनाली तक कीमतों में जबरदस्त उछाल90 रुपये तक डिविडेंड का मौका! 14-15 नवंबर को 30 कंपनियों के शेयर होंगे एक्स डिविडेंडआईपीओ से पहले 1 अरब डॉलर राजस्व की महत्त्वांकाक्षा : जसपेतीन दमदार स्टॉक्स में जोरदार ब्रेकआउट, एनालिस्ट ने बताए नए टारगेट और स्टॉप लॉस

व्यापार पर पैगंबर विवाद की छाया!

Last Updated- December 11, 2022 | 6:27 PM IST

पैगंबर मोहम्मद साहब पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के एक विवादित बयान के बाद खाड़ी देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ने की आशंका जताई जाने लगी है। भारत कई खाड़ी  देशों के साथ व्यापारिक वार्ता कर रहा है। यह विवाद ऐसे समय में खड़ा हुआ है जब खाड़ी देशों के साथ भारत का व्यापार थमने के बाद इसमें तेजी आई है।
भाजपा के दो नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल ने पिछले सप्ताह एक टेलीविजन चैनल पर बहस के दौरान मोहम्मद साहब पर एक विवादित टिप्पणी की थी जिसके बाद सऊदी अरब, लीबिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) इंडोनेशिया, कुवैत, कतर, बहरीन, ईरान, यमन, ओमान सहित कई खाड़ी देशों ने एतराज जताया था। मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने भाजपा नेताओं के बयान की आलोचना की है।
दूसरी तरफ, भाजपा ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए दोनों नेताओं के बयान से स्वयं को अलग कर लिया और रविवार को उन्हें निलंबित व निष्कासित भी कर दिया।
पश्चिम एशिया के अधिकांश देशों के साथ भारत के अच्छे ताल्लुकात रहे हैं। खासकर खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ भारत के दोस्ताना संबंध हैं। इनमें कुछ देश भारत के लिए सबसे बडे़ निर्यात बाजारों में शामिल हैं। जीसीसी एक क्षेत्रीय, अंतर-सरकारी राजनीतिक आर्थिक संघ है जिसमें छह देश-बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, यूएई और सऊदी अरब-शामिल हैं। उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय संघ और उत्तर-पूर्व एशिया के बाद जीसीसी क्षेत्रीय आधार पर यह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
सबसे अहम बात यह है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए इन देशों पर निर्भर है। पश्चिम एशिया से कुल आयात में करीब दो तिहाई हिस्सेदारी पेट्रोलियम उत्पादों की होती है। भारत विदेश से जितनी वस्तुओं का आयात करता है उनमें पेट्रोलियम पदार्थों की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत होती है। भारत में आयाति​त कच्चे तेल का 25 प्रतिशत हिस्सा इराक से आता है। सऊदी अरब और यूएई क्रमशः 18 प्रतिशत और 10 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। वित्त वर्ष 2022 में यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात और आयात बाजार रहा है। पिछले वित्त वर्ष में सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक एवं आयात साझेदार था। फरवरी में भारत और यूएई ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते-सीईपीए- पर हस्ताक्षर किए थे। इस व्यापार समझौते का क्रियान्वयन पिछले महीने हुआ था।
भारत और ओमान ने कुछ सीमित वस्तुओं पर तरजीही व्यापार सौदा करने से पहले संयुक्त संभाव्यता अध्ययन करने का निर्णय लिया है। वित्त वर्ष 2022 में छह जीसीसी देशों को भारत से 43.93 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात हुआ था। सालाना आधार पर यह  58.30 प्रतिशत अधिक है। दूसरी तरफ, आयात 110. 72 अरब डॉलर रहा था, जो सालाना आधार पर 86 प्रतिशत अधिक है। भारत से जीसीसी देशों को 2020-21 में भेजा गया सामान कुल निर्यात का 10.34 प्रतिशत था, जबकि आयात 18 प्रतिशत रहा था।

First Published - June 8, 2022 | 12:40 AM IST

संबंधित पोस्ट