प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि ये देश कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक सुधार में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधारों के लिए भी ब्रिक्स देशों का समर्थन चाहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की अध्यक्षता वाली इस वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को भी आतंकवाद के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा, ‘हमने आत्मनिर्भर भारत के अधीन व्यापक सुधार प्रक्रिया की शुरुआत की है। यह अभियान इस सिद्धांत पर आधारित है कि एक आत्मनिर्भर और मजबूत भारत कोविड-19 के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के सुधार में अहम कारक हो सकता है और इस प्रकार वैश्विक मूल्य शृंखला में भी योगदान दे सकता है।’ उन्होंने कहा कि भारत ने अपने दवा उद्योग के दम पर ही कोविड-19 महामारी से जूझ रहे 150 से अधिक देशों को अनिवार्य औषधियां मुहैया कराईं और इससे भी भारत के इस दावे को मजबूती मिलती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की कुल आबादी का 42 फीसदी हिस्सा ब्रिक्स देशों में रहता है और ये देश विश्व अर्थव्यवस्था के वाहक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच साझा व्यापार बढ़ाने की भी काफी संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे साझा संस्थान और व्यवस्थाएं मसलन ब्रिक्स इंटरबैंक सहयोग प्रणाली, नया विकास बैंक, आपातकालीन भंडार व्यवस्था और सीमा सहयोग आदि मिलकर वैश्विक सुधार प्रक्रिया को प्रभावी बना सकते हैं।’
हाल के दिनों में यह दूसरा अवसर है जब मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने एक ही कार्यक्रम में शिरकत की है। इससे पहले दोनों नेता शांघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल हुए थे।
उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय व्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। वैश्विक शासन के संस्थानों की विश्वसनीयता और उनके प्रभाव पर सवाल उठ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि वे समय के साथ बदल नहीं पाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये संस्थान 75 वर्ष पुरानी दुनिया की मानसिकता और हकीकत पर आधारित हैं।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की जरूरत है। उन्होंने इस मामले में ब्रिक्स देशों के सहयोग की अपेक्षा भी जताई। उन्होंने मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद से संगठित तरीके से निपटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें खुशी है कि रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स ने आतंकवाद विरोधी नीति को अंतिम रूप दिया है। भारत अपनी अध्यक्षता में इसे और आगे ले जाएगा।’ भारत सन 2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड के टीके और निदान के मामलों को बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी समझौतों से छूट देने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने आशा जताई कि ब्रिक्स के अन्य देश भी इसमें सहयोग करेंगे। मोदी ने कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों के बीच डिजिटल स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा को लेकर सहयोग बढ़ाने पर काम करेगा। उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा कि सन 2021 में ब्रिक्स के 21 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उसके विभिन्न निर्णयों पर रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।
