जब से बजट भाषण खत्म हुआ है,इंदर जैन फोन कॉल रिसीव करने में व्यस्त हैं। इंदर जैन आगरा की कंपनी अनुपम हाउसिंग ग्रुप के अध्यक्ष हैं। अभी तक वे आगरा में जमीन की उपलब्धता के बारे में दर्जनों पूछताछ का जबाब दे चुके हैं।
बात आगरा तक ही खत्म नहीं होती है। वाराणसी में भी रियल एस्टेट डेवलपर्स आगरा की हीं तर्ज पर पूछताछ का सामना कर रहे हैं और उनकी खुशी साफ झलकती है। जहां प्राचीन बौद्ध केंद्र सारनाथ पर यूनेस्को की नजर है,वहीं उद्योगपति और बड़े होटलों के मालिक वाराणसी में 200 और कमरों की व्यवस्था करने में लगे हैं। वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद , जिसमें पंचवर्षीय कर छूट की बात कही गई है,वाराणसी और आगरा आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। वाराणसी और आगरा यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शुमार है।
पहले बात आगरा की,आगरा में तीन धरोहर है-आगरा किला,फतेहपुर सिकड़ी और ताजमहल। यहां पर चार तीन सितारा होटल,चार पांच सितारा होटल और दो पांच सितारा डीलक्स होटल है। अगर बात खर्च की करें, तो तीन सितारा होटलों में एक रात बिताने के 3000 से 7000 रुपये बनते हैं,तो चार सितारा होटलों में इसके लिए आपको 4000 से 8000 रुपये चुकाने होंगे। अक्टूबर और नवंबर में तो कमरे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वैसे अप्रैल से सितंबर तक कमरा आसानी से मिल जाती है। आगरा की टूरिज्म गिल्ड की सचिव महातिम सिंह का कहना है कि आगरा बहुत आकर्षक शहर है । शहर के होटलों में लगभग 5000 कमरे हैं और 2000 अतिरिक्त कमरों की व्यवस्था की जा सकती है। अगर जमीन की कीमतों की बात करें,तो प्रत्येक वर्ग गज के लिए 15 से 20 हजार रुपये की कीमत बनती है। गिंजर होटल ने तो पहले हीं विश्व धरोहर स्थलों पर होटल खड़ा करने का मन बना चुके हैं। इस होटल के मु?य कार्यकारी अधिकारी प्रभात पाणि कहते हैं, हमने औरंगाबाद, आगरा और गोवा में होटल बनाने की योजना बना चुके हैं। आईटीसी फार्च्युन ब्रांड ने हालांकि अभी तक इन स्थलों पर होटल बनाने की कोई योजना नहीं बनाई है। लेकिन भविष्य में वह इस तरफ रुख कर सकती है।
विशेषज्ञों की माने तो बड़ी बड़ी होटल कंपनियों के इस होड़ में शामिल होने से प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी और होटलों के कमरों की कीमत कम होंगी। लेकिन महातिम सिंह थोड़ा हटकर सोचती हैं। उनका मानना है कि अधिक कमरों के बनने से कमरों की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,क्योंकि आगरा में कमरों की मांग हर रोज बढ़ती जा रही है। अगर दिल्ली की बात करें ,तो यहां काफी भीड़ की वजह से पयर्टक पड़ोसी स्थलों भरतपुर आदि जगहों की ओर रुख कर रहे हैं। वर्ष 2007 में आगरा में 32.1 लाख से ज्यादा पयर्टक आए,जो 2006 के 25.39 लागत की तुलना में अधिक है।
