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Q3FY24 Results: लाल सागर संघर्ष का कंपनियों की तीसरी तिमाही के नतीजों पर पड़ रहा असर, एनालिस्ट ने जताई चिंता

लाल सागर संघर्ष के कारण उन्हें माल ढुलाई की लागत में वृद्धि, डिलिवरी में देरी, निर्यात बाजार में सिकुड़न, मार्जिन पर प्रभाव जैसी तमाम चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।

Last Updated- February 09, 2024 | 10:01 PM IST
Exports will increase due to government measures, shipping corporation will run big container ships; Reduction in port charges also सरकार के उपायों से बढ़ेगा निर्यात, शिपिंग कॉरपोरेशन बड़े कंटेनर जहाज चलाएगी; बंदरगाह शुल्क में भी कटौती

भारतीय उद्योग जगत के कारोबार पर इजरायल-हमास संघर्ष के प्रभाव के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं। इसका असर फिलहाल उन कंपनियों के परिचालन पर दिख रहा है जो उस क्षेत्र में जिंस की आपूर्ति या उससे संबंधित विदेशी बाजारों में कारोबार करती हैं।

उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि लाल सागर संघर्ष के कारण उन्हें माल ढुलाई की लागत में वृद्धि, डिलिवरी में देरी, निर्यात बाजार में सिकुड़न, मार्जिन पर प्रभाव जैसी तमाम चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। मगर कुछ लोगों ने उम्मीद जताई कि जिंसों की रियायती आपूर्ति से उन्हें फायदा हो सकता है।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, टीडी पावर सिस्टम्स और केईसी इंटरनैशनल जैसी पूंजीगत वस्तु और इंजीनियरिंग कंपनियों को लाल सागर संघर्ष के कारण परिचालन संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के शीर्ष अधिकारियों ने विश्लेषकों से बातचीत में कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष के कारण माल ढुलाई की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे दिसंबर 2023 में समाप्त तिमाही के दौरान 400 से 500 करोड़ रुपये का माल देर से आया और यह जनवरी के पहले सप्ताह में मिला।

भारतीय कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्से के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के जरिये लाल सागर वाले मार्ग का उपयोग करती हैं।

क्रिसिल रेटिंग्स के आंकड़ों के अनुसार इन क्षेत्रों का योगदान वित्त वर्ष 2023 में भारत के 1.8 लाख करोड़ रुपये के कुल निर्यात में 50 फीसदी और 1.7 लाख करोड़ रुपये के कुल आयात में 30 फीसदी था।

टीडी पावर सिस्टम्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस महीने विश्लेषकों से बातचीत में कहा कि ऐसा नहीं है कि उसकी शिपिंग लागत और समय में अचानक वृद्धि हुई है, लेकिन इससे कंपनी बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए छोटे डिलिवरी चक्रों पर काम करने के लिए मजबूर है। इन सब कारणों से केईसी इंटनैशनल जैसी कंपनियों के लिए मार्जिन रिकवरी की समय-सीमा बढ़ गई है। केईसी इंटरनैशनल के करीब 40 फीसदी ग्राहक विदेशी हैं।

नुवामा के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा है कि लाल सागर संघर्ष के कारण निकट भविष्य में केईसी इंटरनैशनल की बिक्री के लिए माल ढुलाई की लागत बढ़ने के आसार हैं और वित्त वर्ष 2026 तक ही उसका एबिटा मार्जिन बढ़कर 9 से 10 फीसदी तक हो सकेगा। प्रभाव इंजीनियरिंग निर्यात तक सीमित नहीं है, बल्कि खाद्य एवं अपैरल निर्यात पर भी दबाव देखा जा रहा है।

अदाणी विल्मर के अधिकारियों ने विश्लेषकों को यूरोप, अमेरिका और जेद्दा भेजे जाने वाले कंटेनरों से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया। इन क्षेत्रों के लिए उनका चावल निर्यात धीमा पड़ गया है और माल ढुलाई की लागत बढ़ी है।

टाइल निर्यातक कजारिया सिरैमिक्स ने विदेशी बाजारों के लिए माल की तादाद में सुस्ती आने की बात कही है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि ब्रिटेन भेजे जाने वाले एक कंटेनर की लागत इस समय 4,000 डॉलर पर पहुंच गई है जो दिसंबर में 600 डॉलर थी।

अपैरल कंपनी गोकलदास एक्सपोर्ट्स ने कहा कि लाल सागर में संकट से बीमा लागत बढ़ी है और वैकल्पिक मार्गों से डिलिवरी में देरी और क्षमता संबंधित संकट बढ़ा है। अन्य निर्यात संबंधित कच्चे माल या तो महंगे हो गए हैं या उनके महंगे होने की आशंका बढ़ गई है।

सेंचुरी टेक्स्टाइल्स ऐंड इंडस्ट्रीज का कहना है कि कच्चे माल की लागत बढ़ी है, जबकि प्लास्टिक कंपनी सुप्रीम इंडस्ट्रीज को आशंका है कि अगर लड़ाई का दायरा बढ़ा तो पॉलिमर कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ने की आशंका है।

हालांकि इन भूराजनीतिक चिंताओं से कुछ कंपनियों को फायदा होने की भी संभावना है। श्री सीमेंट के अधिकारियों को ईंधन लागत संबंधित लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी कोयला यूरोपीय बाजार तक पहुंचने में समस्या हो रही है।

कंपनी के अधिकारियों ने विश्लेषकों को बताया, ‘इसलिए रूस की तरह उन्होंने भारतीय उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले छूट पर दक्षिण अफ्रीकी कोयले की पेशकश शुरू कर दी है।’

First Published - February 9, 2024 | 10:00 PM IST

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