डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने के बावजूद इस साल के अंत में अमेरिकी कच्चे तेल के उत्पादन की वृद्धि कम रहने की संभावना है। एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स ने कहा है कि अमेरिकी व्यापार के भविष्य के बारे में अत्यधिक अनिश्चितता, वैश्विक तेल मांग में कमी तथा अधिक आपूर्ति की आशंका के कारण वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
एक वरिष्ठ रिफाइनरी अधिकारी ने कहा कि 2026 में सालाना गिरावट के नए अनुमान से भारत की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा अमेरिका से ज्यादा तेल खरीदने की योजना पर भी असर पड़ सकता है। एसऐंडपी के ताजा अनुमान के मुताबिक मांग का परिदृश्य बदल रहा है। इसके असर से 2020 की कोविड महामारी का वर्ष छोड़ दें तो दशक में पहली बार 2026 में उत्पादन में गिरावट होने जा रही है। 2025 में कुल अमेरिकी उत्पादन औसतन 134.6 लाख बैरल रोजाना रहने की संभावना है। अपतटीय तथा अन्य दीर्घावधि परियोजनाओं से उत्पादन में वृद्धि कीमतों के प्रति कम संवेदनशील हैं। तटीय शेल उत्पादन की वृद्धि भी बरकरार रहने की उम्मीद है।
एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के उपाध्यक्ष और क्रूड ऑयल रिसर्च के वैश्विक प्रमुख जिम बर्कहार्ड ने कहा, ‘2022 से अमेरिकी तेल उत्पादन वृद्धि तेल बाजार में एक प्रमुख विशेषता रही है। अमेरिकी उत्पादन में मूल्य-संचालित गिरावट तेल बाजार के लिए एक महत्त्वपूर्ण बिंदु होगा और संभावित मूल्य सुधार के लिए स्थितियां तैयार होंगी।’
उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती की गंभीरता और मांग में वृद्धि पर पड़ने वाले असर से यह प्रभावित होगा। अमेरिका इस समय भारत पर अमेरिकी उत्पादकों से तेल खरीदने के लिए बातचीत का दबाव बना रहा है, लेकिन वार्ता सुस्त है। एक वरिष्ठ रिफाइनरी अधिकारी ने कहा, ‘शुल्क में बढ़ोतरी के पहले भी अमेरिका के उत्पादक मौजूदा कीमतों के वातारवण में उत्पादन बढ़ाने की स्थिति में नहीं थे। यह मसला द्विपक्षीय बातचीत में भी उठाया गया है।’ उन्होंने कहा कि इसकी वजह से अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 2025 के अंत तक कम हो सकता है।