यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को पुष्टि की कि रूस ने आठ महीने के खूनी संघर्ष के बाद बखमुत शहर पर कब्जा जमा लिया है और कहा कि ‘आज बखमुत केवल हमारे दिलों’ में है।
जेलेंस्की ने युद्ध मैदान पर रूस के इस सांकेतिक जीत के दावे के बीच हिरोशिमा में G-7 समूह की बैठक में अपने सबसे बड़े समर्थकों से उनके देश के युद्ध प्रयास को गति देने की उम्मीद जताई।
यूक्रेनी नेता का इस शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन यहां आकर इसमें भाग लेना यह दिखाता है कि दुनिया के अमीर देशों के इस समूह का युद्ध पर कितना ध्यान है। यूक्रेन युद्ध ने इस बैठक में एशिया में सुरक्षा चुनौतियों एवं विकासशील देशों तक पहुंच जैसी कई अन्य प्राथमिकताओं से ध्यान बंटा दिया है।
जेलेंस्की ने रविवार को दो प्रमुख दौर की बैठकों में भाग लिया, जिसमें से एक केवल जी-7 नेताओं के साथ थी और दूसरी जी-7 तथा भारत, दक्षिण कोरिया और ब्राजील समेत कई आमंत्रित देशों के साथ थी। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत कई अन्य नेताओं से व्यक्तिगत रूप से भी मुलाकात की।
बाइडन ने जेलेंस्की के साथ अपनी बैठक के दौरान यूक्रेन के लिए रविवार को नए सैन्य सहायता पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका गोलाबारूद और बख्तरबंद वाहन उपलब्ध कराएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम यूक्रेन के साथ हैं और हम उसे नहीं छोड़ रहे हैं।’ जेलेंस्की ने सहयोग के लिए बाइडन का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘हम बहुत आभारी हैं। हम कभी नहीं भूलेंगे। शुक्रिया।’ रूस के रक्षा मंत्रालय ने रविवार तड़के दावा किया कि देश की निजी सेना ‘वैगनर’ ने रूसी सैनिकों की मदद से यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा जमा लिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या बखुमत अब भी यूक्रेन के कब्जे में है, इस पर जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें लगता है कि यूक्रेन ने इस शहर को गंवा दिया है, लेकिन ‘आपको यह समझना होगा कि कुछ बचा नहीं है। उन्होंने सब कुछ बर्बाद कर दिया है।’
जेलेंस्की ने कहा, ‘आज बखमुत केवल हमारे दिलों में है। वहां कुछ नहीं बचा है।’
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उन्होंने कहा कि इस लड़ाई ने बखमुत में कई ‘मृत रूसी सैनिकों’ के अलावा और कुछ नहीं छोड़ा है। यूक्रेन पर रूस द्वारा 15 महीने पहले हमला शुरू किए जाने के बाद, जेलेंस्की ने शनिवार को पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आमने-सामने की वार्ता की और उन्हें यूक्रेन की शांति योजना के बारे में बताया, जिसमें कोई भी बातचीत शुरू करने से पहले देश से रूसी सैनिकों की वापसी का आह्वान किया गया है।
वहीं, रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने चीन तथा रूस दोनों को अलग-थलग करने के मकसद के लिए जी-7 शिखर सम्मेलन की आलोचना की है। बहरहाल, G-7 ने रूस पर दबाव बढ़ाने का आह्वान किया है।
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समूह ने एक बयान में कहा, ‘रूस का क्रूर युद्ध अंतरराष्ट्रीय समुदाय के मौलिक नियमों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है। हम शांति स्थापित होने तक यूक्रेन के लिए अपने अटूट समर्थन को दोहराते हैं।’