प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ब्रिक्स सदस्य देशों से दुर्लभ खनिजों और प्रौद्योगिकी आपूर्ति चेन को सुरक्षित एवं विश्वसनीय बनाने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया है। रियो डी जनेरो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ‘मजबूत बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामले और एआई’ पर आयोजित एक सत्र के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी देश इन संसाधनों का इस्तेमाल अपने निजी स्वार्थ के लिए या दूसरों के खिलाफ हथियार के तौर पर न करे।’
दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले चीन के साथ भारत, रूस और ब्राजील 11 सदस्यों वाले ब्रिक्स समूह के संस्थापक सदस्य हैं। ब्रिक्स का 17वां सम्मेलन सोमवार को संपन्न हुआ। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग ने रियो में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया।
एक दशक में सबसे लंबे दौरे पर 5 देशों की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मोदी का उद्देश्य घाना, नामीबिया, अर्जेंटीना और ब्राजील में दुर्लभ खनिजों के आयात और प्रसंस्करण में आपसी सहयोग को बढ़ाना है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की इन महत्त्वपूर्ण संसाधनों के विकल्प की तलाश और ब्रिक्स सम्मेलन में उनकी टिप्पणियां इस संबंध में खास मायने रखती हैं कि चीन इन खनिजों की आपूर्ति को लगातार बाधित करने और इनकी कीमतें प्रभावित करने सहित इस क्षेत्र में जबरदस्ती की रणनीति पर चलते हुए एकाधिकार कायम रखना चाहता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार पर जोर दिए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने विकासशील देशों की विकास संबंधी आकांक्षाओं में मदद करने के लिए मजबूत और विश्वसीनय विकल्प पेश किया है।
मोदी ने कहा कि परियोजनाओं को मंजूरी देते समय एनडीबी को मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाने के साथ दीर्घावधि वित्तीय स्थिरता और स्वस्थ क्रेडिट रेटिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आंतरिक प्रणाली को मजबूत करने से परिष्कृत बहुपक्षवाद की दिशा में हमारे प्रयासों की विश्वसनीयता और बढ़ेगी।’
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) में जोखिम, नैतिकता और पक्षपात के बारे में भी चिंताएं जाहिर की और सदस्य देशों से जिम्मेदार एआई मॉडल के लिए मिलकर काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगले साल ‘एआई इम्पैक्ट समिट’ भारत में आयोजित होगी। इसके अलावा हम 2026 में 18वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी करेंगे।
ब्रिक्स के रियो डी जनेरियो घोषणापत्र में ‘बहुपक्षवाद शुल्क और गैर-शुल्क उपायों के बढ़ने पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। क्योंकि इससे व्यापार सीधे प्रभावित होता है और ये विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों से भी मेल नहीं खाते। ब्रिक्स के घोषणापत्र में अमेरिका का नाम नहीं लिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन से इतर मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर बिन इब्राहिम के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों ने आसियान-इंडिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) की समीक्षा की। दोनों देशों ने 2009 में एफटीए समझौता किया था। अगस्त 2023 में दोनों पक्षों ने 2025 तक इस समझौते की संपूर्ण समीक्षा करने की घोषणा की थी।
हालांकि, दोनों पक्षों में मतभेदों के कारण एफटीए के लिए प्रस्तावित बातचीत रुक गई थी। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, समझौता लागू होने के बाद भारत का निर्यात सालाना केवल लगभग 38-39 अरब डॉलर रहा, जबकि 10 सदस्यीय आसियान देशों से आयात बढ़कर 86 अरब डॉलर हो गया है।