भारत ने मुक्त व्यापार समझौते के तहत पूंजी प्रवाह को लेकर यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रस्ताव का विरोध किया है। 27 देशों वाले यूरोपीय संघ ने पूंजी प्रवाह से जुड़े फैसलों के लिए निगरानी समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है।
इस मामले से जुड़े दो सूत्रों ने बताया कि यह प्रस्ताव मुक्त व्यापार समझौतों में असामान्य है, जिसे लेकर भारत ने चिंता जताई है। भारत का कहना है कि इससे संकट के दौरान एकतरफा फैसला ले पाने की उसकी क्षमता सीमित हो जाएगी। दोनों पक्षों ने 2025 के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा है। भारत ने पहले भी देश से धन निकासी पर प्रतिबंध लगाया है। 2013 में मुद्रा संकट के दौरान भी ऐसा किया गया था।
यूरोपीय संघ ने भारत के सामने रखे गए प्रस्ताव में कारोबार और निवेश की नीति को लेकर निगरानी समिति बनाने का सुझाव दिया है। प्रस्ताव के मुताबिक यह समिति भुगतान संतुलन या वित्तीय संकट सहित विभिन्न मसलों पर नीतिगत कार्रवाई की समीक्षा करेगी।
एक सूत्र ने कहा, ‘भारत को डर है कि इस तरह की निगरानी का अधिकार होने से संकट के समय के नीतिगत फैसलों पर समिति सवाल उठा सकती है, या उसे पलट सकती है। यह फैसला करने के संप्रभु अधिकारों के साथ समझौता होगा।’