facebookmetapixel
Bihar Election 2025: दूसरे चरण में 3.7 करोड़ मतदाता 122 सीटों पर करेंगे 1,302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसलाBandhan MF ने उतारा नया हेल्थकेयर फंड, ₹100 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा?Explained: AQI 50 पर सांस लेने से आपके फेफड़ों और शरीर को कैसा महसूस होता है?अगर इंश्योरेंस क्लेम हो गया रिजेक्ट तो घबराएं नहीं! अब IRDAI का ‘बीमा भरोसा पोर्टल’ दिलाएगा समाधानइन 11 IPOs में Mutual Funds ने झोंके ₹8,752 करोड़; स्मॉल-कैप की ग्रोथ पोटेंशियल पर भरोसा बरकरारPM Kisan Yojana: e-KYC अपडेट न कराने पर रुक सकती है 21वीं किस्त, जानें कैसे करें चेक और सुधारDelhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने पकड़ा जोर, अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की बाढ़CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बड़ा जाल फरीदाबाद में धराशायी, 360 किलो RDX के साथ 5 लोग गिरफ्तारHaldiram’s की नजर इस अमेरिकी सैंडविच ब्रांड पर, Subway और Tim Hortons को टक्कर देने की तैयारी

अब पॉलसन फेकेंगे पासा

Last Updated- December 05, 2022 | 5:18 PM IST

अमेरिकी वित्त मंत्रालय फेडरल रिजर्व को कुछ और अधिकार देने का मन बना रहा है। वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नई नियामक एजेंसियों के गठन पर विचार कर रहे हैं।


पॉलसन ने एक अध्ययन रिपोर्ट के मसौदे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है जिससे यह संभावना लग रही है कि नई नियामक इकाइयों के गठन के साथ उन्हें ऋण संबंधी अधिक अधिकार प्रदान करने की भी योजना है। इस रिपोर्ट में फेडरल को अतिरिक्त शक्तियों से लैस करने के साथ-साथ कंप्ट्रोलर ऑफ दी करेंसी और थ्रिफ्ट सुपरविजन कार्यालय को एक करने का भी सुझाव पेश किया गया है।


इसके अलावा इस प्रस्तावित मसौदे में सिक्युरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन और कमोडिटी ट्रेडिंग कमीशन के अधिग्रहण का भी सुझाव है। हालांकि, पूर्व में भी इस तरह के अध्ययन प्रस्ताव पेश किए जा चुके हैं पर उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस बार भी यह दिलचस्प होगा कि इन प्रस्तावों पर कितना अमल किया जाता है और इसे मंजूरी मिल पाती है या नहीं।


फेडरल डिपोजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के पूर्व अध्यक्ष बिल इसाक ने कहा, ”हम पहले भी इस तरह की अध्ययन रिपोर्ट सौंप चुके हैं पर उनका जमीनी स्तर पर अब तक कोई परिणाम निकल पाया हो, ऐसा नहीं हुआ।”


नियामक इकाइयों में फेरबदल और उनके पुनर्गठन पर जोर इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि नीति निर्माताओं को लगता है कि फिलहाल जो वित्तीय नियामक ढांचा मौजूद है वह 21वीं सदी के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। उन्हें लगता है कि देश की मौजूदा चरमराई अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अपेक्षाकृत ठोस बुनियादी तंत्र का मौजूद होना जरूरी है।


गौरतलब है कि वित्त मंत्री 31 मार्च को वित्तीय बाजार पर वाशिंगटन में एक भाषण देने वाले हैं। उनके भाषण से आगे की रणनीति भी काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ब्रूकली मैक्लॉगलिन ने इस मसौदा प्रस्ताव पर कोई खास टिप्पणी तो नहीं की पर इतना जरूर बताया कि आखिरी रिपोर्ट में कुछ फेरबदल किए जाने की संभावना है। इस नई रिपोर्ट में एक प्रूडेंशियल फाइनैंशियल रेगुलेटर के गठन का सुझाव पेश किया गया है जो वित्तीय संस्थानों पर नजर रख सकेगी।

First Published - March 30, 2008 | 10:17 PM IST

संबंधित पोस्ट