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Iran Parliamentary Polls: ईरान में 2022 में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद पहले संसदीय चुनाव के लिए मतदान

Iran Parliamentary Polls: खामनेई ने लोगों से चुनाव में जल्द से जल्द मतदान करने का आग्रह करते हुए कहा कि ईरान के मित्र और शत्रु दोनों ही मतदान पर नजर रख रहे हैं।

Last Updated- March 01, 2024 | 3:03 PM IST
Iranians vote during parliamentary elections at a polling station in Tehran
Representative Image

Iran Parliamentary Polls: हिजाब की अनिवार्यता संबंधी कानूनों के विरोध में 2022 में हुए व्यापक प्रदर्शनों के बाद ईरान के पहले संसदीय चुनावों के लिए शुक्रवार को मतदान हो रहा है। ईरान के सर्वोच्च नेता 84 वर्षीय अयातुल्ला अली खामनेई चुनाव के लिए सबसे पहले वोट डालने वालों में शामिल रहे।

इस मतदान के जरिए देश की ‘एसेम्बली ऑफ एक्सपर्ट’ के सदस्यों का भी चुनाव होगा। खामनेई के पद से हटने या उनके निधन की स्थिति में नए सर्वोच्च नेता के चयन की जिम्मेदारी ‘असेंबली ऑफ एक्सपर्ट’ की होगी। खामनेई की आयु के मद्देनजर ‘असेंबली ऑफ एक्सपर्ट’ की महत्ता बढ़ गई है। खामनेई ने तेहरान में पत्रकारों की भीड़ के सामने मतदान किया।

खामनेई ने लोगों से चुनाव में जल्द से जल्द मतदान करने का आग्रह करते हुए कहा कि ईरान के मित्र और शत्रु दोनों ही मतदान पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस पर गौर कीजिए, मित्रों को खुश कीजिए और बुरा चाहने वालों को निराश कीजिए।’’

शुरुआती परिणामों के शनिवार तक आ जाने की संभावना है। देश की 290 सदस्यीय संसद की सदस्यता के लिए लगभग 15,000 उम्मीदवार मैदान में हैं। ईरान की संसद को औपचारिक रूप से ‘इस्लामिक कंसल्टेटिव असेंबली’ के रूप में जाना जाता है।

सांसदों का कार्यकाल चार साल होता है और पांच सीट ईरान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। कानून के तहत, संसद कार्यकारी शाखा पर निगरानी रखती है, संधियों पर मतदान करती है और अन्य मुद्दों को संभालती है लेकिन ईरान में व्यावहारिक रूप से पूर्ण शक्ति उसके सर्वोच्च नेता के पास होती है।

पुलिस हिरासत में 2022 में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद हिजाब पहनने की अनिवार्यता के विरोध में देशभर में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 500 लोगों की मौत हो गई थी और 22,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था। हालिया सप्ताह में बहुत से लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है। इनमें जेल में बंद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी भी शामिल हैं, जिन्होंने इन चुनावों को ‘‘दिखावा’’ करार दिया है।

First Published - March 1, 2024 | 3:03 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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