facebookmetapixel
कनाडा पर ट्रंप का नया वार! एंटी-टैरिफ विज्ञापन की सजा में 10% अतिरिक्त शुल्कदेशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धता

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत की अपनी रणनीति

अगर अमेरिका चीन से आने वाले ऐसे किसी उत्पाद पर शुल्क लगाया है तो इससे लागत के मामले में हमें प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है और हम इन उत्पादों के निर्यात को बढ़ा सकते हैं।’

Last Updated- December 04, 2024 | 10:53 PM IST
US China

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप द्वारा प्रशासन की बागडोर संभालने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत भी अपनी रणनीति तैयार कर रहा है। इसके तहत भारत ने अमेरिका में निर्यात बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, वाहन कलपुर्जा और रसायनों जैसे क्षेत्रों की पहचान की है। सरकार उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए नीतिगत उपाय पर भी विचार कर रही है।

एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बदलती ​स्थितियों में भारत को फायदा हो सकता है। हम वि​भिन्न उत्पादों का विश्लेषण कर रहे हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स, मानव निर्मित फाइबर, वाहन कलपुर्जा और रसायन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं जहां निर्यात में भारत को लाभ हो सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर अमेरिका चीन से आने वाले ऐसे किसी उत्पाद पर शुल्क लगाया है तो इससे लागत के मामले में हमें प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है और हम इन उत्पादों के निर्यात को बढ़ा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि स्टील को छोड़कर कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत का फायदा हो सकता है।

ट्रंप पहले ही कनाडा और मे​क्सिको से अमेरिका में आयात होने वाले उत्पादों पर 25 फीसदी और चीन के उत्पादों पर 10 फीसदी शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं। माना जा रहा है जनवरी में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद ट्रंप प्रशासन इस शुल्क को लागू कर सकता है। हालांकि अभी तक भारत पर ऐसे शुल्क लगाने की कोई घोषणा नहीं की गई है।
ट्रंप के संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की चुनौतियों को देखते हुए वा​णिज्य विभाग लगातार बैठकें कर रहा है।

ट्रेड वॉच क्वार्टरली पेश करते समय संवाददाताओं से बातचीत करते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और पूर्व वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने संकेत दिया कि सरकार ऐसे नीतिगत उपायों की घोषणा कर सकती है जो ट्रंप की शुल्क नीतियों का लाभ दिलाने वाले हों।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इसमें हमारे लिए अवसर हैं। संख्याएं बहुत हैं और इसके चलते अमेरिकी व्यापार में भारी उथल पुथल मचेगी। हमारे लिए एक बड़ा अवसर होगा और अगर हम खुद को तैयार कर सके तो इससे बहुत अधिक तेजी आ सकती है क्योंकि व्यापार में बदलाव होगा। बड़ा सवाल यह है कि क्या हम ऐसा कर पाएंगे? हम सभी इसी बारे में चिंतित हैं और अगले कुछ महीनों में आपको इससे संबंधित कदम देखने को मिल सकते हैं।’

भारत भी संभावित घटनाक्रम पर नजर रखे है। मिसाल के तौर पर अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने की प्रतिक्रिया में चीन अपनी मुद्रा युआन का अवमूल्यन कर सकता है ताकि वह अपनी व्यापार रणनीति को मजबूत बना सके।

हालांकि ट्रंप समय-समय पर भारत को ऊंचे टैरिफ वाला देश और आयात शुल्क का दुरुपयोग करने वाला देश कहकर आलोचना करते रहे हैं लेकिन सरकारी अधिकारियों को लगता है कि फिलहाल ट्रंप उन देशों को निशाना बना रहे हैं जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा अधिक है। भारत ऐसे शीर्ष पांच-छह देशों में शामिल नहीं है।

अमेरिका के साथ भारत का व्यापार महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वह भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार और निर्यात का सबसे प्रमुख केंद्र है। वह भारत में आयात होने वाली वस्तुओं का भी चौथा सबसे बड़ा स्रोत है। इसके अलावा भारत और अमेरिका का आर्थिक जुड़ाव भी बीते दो दशकों से लगातार बढ़ रहा है।

वर्ष 2001 से ही अमेरिका में भारतीय वस्तुओं की मांग लगातार बढ़ी है। उस समय जहां अमेरिका भारत से 9.7 अरब डॉलर मूल्य (उसके कुल आयात का 0.9 फीसदी) का आयात करता था वह 2023 में बढ़कर 87.3 अरब डॉलर हो चुका है जो उसके कुल आयात का 2.8 फीसदी है।

 

First Published - December 4, 2024 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट