भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के साथ मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में मूल देश के नियमों, गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने और बेहतर बाजार पहुंच के लिए कड़े प्रावधानों की वकालत की है। इसमें कहा गया है कि देर करने के बजाय इन परिवर्तनों की शीघ्र शुरुआत कर देनी चाहिए।
शनिवार को आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की आभासी रूप से आयोजित 17वीं मंत्रणा में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत के उस अडिग रुख को दोहराया है कि वर्ष 2010 के बाद से प्रभावी मौजूदा एफटीए की समीक्षा में बहुत अधिक देर कर दी गई है।
गोयल ने नवंबर 2020 में होने वाले आसियान-भारत के नेताओं के शिखर समेलन से पहले समीक्षा की कवायद को अंतिम रूप देने और इस साल के अंत से पहले पूर्ण समीक्षा की शुरुआत करने के लिए निकट सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस समीक्षा में एफटीए को और अधिक अनुकूल, सरल तथा कारोबारों के लिए व्यापार को सुविधाजनक बनाया जाना चाहिए।
सरकार ने रविवार को एक बयान में कहा कि अब सभी पक्षों ने वरिष्ठ अधिकारियों को समीक्षा का दायरा निर्धारित करने के लिए शीघ्र चर्चा शुरू करने का निर्देश देने का फैसला किया है। इसमें कहा गया है कि यह समीक्षा समकालीन व्यापार के सुविधाजनक व्यवहार, सुव्यवस्थित सीमा शुल्क और विनियामकीय प्रक्रियाओं के साथ समझौते को आधुनिक बनाएगी।
मंत्रियों ने इस वैश्विक महामारी के आर्थिक असर को कम करने तथा व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की है। राष्ट्रों ने विश्व व्यापार संगठन के नियम अनुपालन के अनुरूप खास तौर पर आपूर्ति शृंखला के संपर्क को मजबूत करने पर जोर दिया है, विशेष रूप से इस क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं और दवाओं के निर्बाध प्रवाह के लिए।
आसियान के 10 राष्ट्रों (इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, म्यांमार, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस) के साथ यह एफटीए 1 जनवरी, 2010 को लागू हुआ था। पिछले साल सितंबर में घरेलू उद्योग की आलोचना के बीच दोनों पक्षों ने इस समझोते की समीक्षा के लिए सहमति जताई थी। घरेलू उद्योग का कहना था कि यह समझौता निर्यात की तुलना में आयात को बहुत तेजी से बढ़ाने में मददगार हो रहा है।
आसियान के साथ व्यापार, जिसमें भारतीय निर्यात के लिए बेहतरीन इजाफा नजर आया था, वर्ष 2019-20 के दौरन 10 प्रतिशत घट गया। इस गुट को किया जाने वाला निर्यात 31.54 अरब डॉलर रहा। इसमें वर्ष 2018-19 के दौरान 37.4 अरब डॉलर की तुलना में 15 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आई थी। हालांकि आयात $55.36 अरब डॉलर के साथ बहुत अधिक रहा। अलबत्ता इसमें 59.32 अरब डॉलर के मुकाबले 6.6 प्रतिशत की गिरावट आई। सरकारी अनुमान में कहा गया है कि इस क्षेत्र से आयात में वर्ष 2018-19 के दौरान तेजी का रुख रहा है, क्योंकि चीनी खेपों को इस क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा रहा था।