भारत और श्रीलंका ने रक्षा सहयोग समझौते को जल्द अंतिम रूप देने का संकल्प लिया और बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी एवं बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित कर ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया। ये समझौते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के बीच सोमवार को हुई व्यापक वार्ता के दौरान लिए गए। दिसानायके तीन दिन की भारत यात्रा पर नई दिल्ली आए हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिसानायके के साथ विभिन्न मुद्दों पर बात की और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। साझा बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने आर्थिक साझेदारी के लिए निवेश आधारित विकास और संपर्क सुविधा पर जोर देने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने तय किया है कि भौतिक, डिजिटल, ऊर्जा संपर्क हमारे सहयोग के प्रमुख स्तंभ होंगे।’ मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी एवं बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करने के लिए काम किया जाएगा और श्रीलंका के बिजली संयंत्रों के लिए द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा, सेमपुर सोलर पावर प्रोजेक्ट के काम को आगे बढ़ाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साथ ही घोषणा की कि दोनों देशों के बीच संपर्क सुविधा बेहतर करने के लिए रामेश्वरम और तलाईमनार के बीच नौका सेवा शुरू की जाएगी। मोदी ने कहा, ‘हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि हमारे सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। हमने रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देने का निर्णय लिया है। ‘हाइड्रोग्राफी’ (जल विज्ञान) पर सहयोग के लिए भी समझौता हुआ है।’
वार्ता में मछुआरों के विवादित मुद्दे पर भी चर्चा हुई। मोदी ने कहा, ‘हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम इस बात पर सहमत हैं कि हमें इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।’
उन्होंने तमिल मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। मोदी ने कहा कि भारत ने श्रीलंका को अब तक पांच अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण सुविधा एवं सहायता प्रदान की है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम श्रीलंका के सभी 25 जिलों को सहयोग देते हैं और हमारी परियोजनाओं का चयन हमेशा हमारे साझेदार देशों की प्राथमिकताओं के आधार पर होता है।’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच पाइपलाइन स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिससे श्रीलंका को किफायती और भरोसेमंद ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित होने की उम्मीद है। श्रीलंका के लिए भारत के 4.9 अरब डॉलर निर्यात में प्रसंस्कृत पेट्रोलियम निर्यात (वित्त वर्ष 2024 में 70.8 करोड़ डॉलर) की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत हो गई है।
हाल के वर्षों में पेट्रोलियम निर्यात बढ़ा है जो वर्ष 2019-20 में 55.1 करोड़ डॉलर था। दोनों पक्षों ने भारत, श्रीलंका और यूएई के सहयोग से ऊर्जा क्षेत्र में शुरू होने वाली कई परियोजनाओं के लिए विभिन्न स्तरों पर चल रही बातचीत का जिक्र भी किया।
एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम में दिसानायके ने भारत की सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के खिलाफ किसी भी रूप में अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देने संबंधी श्रीलंका की प्रतिबद्धता दोहराई। मालूम हो कि भारत और श्रीलंका दोनों सबसे करीब समुद्री पड़ोसी हैं।